आधुनिक हिंदी साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ Main features of modern Hindi literature


आधुनिक हिंदी साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ Main features of modern Hindi literature

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। Main features of modern Hindi literature

आधुनिक हिंदी साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ –

आधुनिक हिंदी साहित्य का उदय 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में हुआ, जब भारतीय समाज में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव हो रहे थे। औपनिवेशिक शासन, ब्रिटिश शिक्षा, औद्योगिकीकरण और आधुनिकता की दिशा में बदलाव ने साहित्य में नए दृष्टिकोण और शैलियों को जन्म दिया। आधुनिक हिंदी साहित्य ने पारंपरिकता से बाहर जाकर समाज की वास्तविकताओं और नई विचारधाराओं को अपनाया। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. नारी जागरूकता और सामाजिक सुधार

आधुनिक हिंदी साहित्य में नारी की स्थिति और उसकी सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। लेखकों ने नारी को समाज में समान अधिकार दिलाने के लिए आवाज उठाई।
उदाहरण- प्रेमचंद की कहानी “नमक का दरोगा” और “गोदान” में नारी के शोषण और उसकी स्थिति पर गहरी विचारधारा है। उनके साहित्य में नारी के मानवीय पहलुओं के साथ-साथ उसे समाज में समान अधिकार दिलाने की आवश्यकता की बात की गई है।

2. नई दृष्टि और यथार्थवाद (Realism)

आधुनिक हिंदी साहित्य में यथार्थवाद (Realism) का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जिसमें समाज की वास्तविक समस्याओं को बिना किसी आदर्श या कल्पना के चित्रित किया गया। इस साहित्य में गरीबी, शोषण, जातिवाद, और भ्रष्टाचार जैसे विषयों को केंद्रीय स्थान दिया गया।
उदाहरण- प्रेमचंद की “गोदान” और “ईदगाह” जैसी कहानियाँ भारतीय समाज के यथार्थ को दर्शाती हैं, जहाँ पात्रों का जीवन संघर्षों से भरा होता है और उनका सामना सामाजिक असमानताओं से होता है।

3. व्यक्तिवाद (Individualism) और आत्मा की स्वतंत्रता

आधुनिक हिंदी साहित्य में व्यक्तिवाद का उभार हुआ, जिसमें लेखक ने व्यक्ति के स्वतंत्र अधिकारों और मनुष्य के अस्तित्व पर जोर दिया। इस साहित्य में व्यक्ति की आत्म-खोज और स्वतंत्रता की अवधारणाओं को महत्व दिया गया।
उदाहरण- निराला की कविताओं में व्यक्तिवाद की एक स्पष्ट झलक मिलती है, जैसे “तुलसीदास” कविता में उन्होंने तुलसीदास के चरित्र के माध्यम से मनुष्य की आत्मनिर्भरता और उसकी आंतरिक शक्ति को प्रदर्शित किया।

4. आधुनिकता और यूरोपीय प्रभाव

ब्रिटिश शिक्षा और यूरोपीय विचारधारा के प्रभाव से आधुनिक हिंदी साहित्य में नई सोच और विचारधारा का प्रवेश हुआ। इस साहित्य में विज्ञान, तर्क, और प्रगति के महत्व को माना गया और धार्मिक अंधविश्वास को चुनौती दी गई।
उदाहरण- दिनकर और यशपाल जैसे लेखकों ने आधुनिकता को अपनाया और समाज के पिछड़ेपन को उजागर किया। उनके लेखों में विज्ञान, तर्क और आधुनिक सोच के पक्ष में विचार प्रस्तुत किए गए।

5. संवेदनशीलता और भावनात्मकता

आधुनिक हिंदी साहित्य में संवेदनशीलता और भावनात्मकता को प्रमुख स्थान दिया गया। कवियों ने अपने लेखन के माध्यम से मनुष्य की आत्मिक संवेदनाओं, भावनाओं और आवश्यकताओं को व्यक्त किया।
उदाहरण- प्रेमचंद की कहानी “कफ़न” में शोषण, दर्द, और प्रेम की संवेदनाओं को बहुत गहरे तरीके से व्यक्त किया गया है। साथ ही निराला की कविताएँ भी मानवीय संवेदनाओं से भरी हुई हैं, जैसे कि “राम की शक्ति पूजा” में वे भगवान राम की शक्ति और संघर्ष को दर्शाते हैं।

6.नई शैलियाँ और प्रयोग

आधुनिक हिंदी साहित्य में कविता और गद्य की नई शैलियाँ, सामने आईं। छायावाद, प्रगतिवाद, नवजागरण, सामाजिक यथार्थवाद आदि जैसी काव्य शैलियों का प्रवेश हुआ। लेखकों ने साहित्य के माध्यम से सामाजिक बदलाव, धार्मिक पुनर्निर्माण और सांस्कृतिक सुधार की दिशा में काम किया।
उदाहरण- जयशंकर प्रसाद और सुमित्रानंदन पंत के काव्य में छायावाद की भावना नज़र आती है, जिसमें प्रकृति, प्रेम, और मानसिक उन्नति की बातें की जाती हैं। वहीं रवींद्रनाथ ठाकुर (रवींद्रनाथ टैगोर) के “गीतांजलि” और दिनकर की कविताओं में समाज की विडंबनाओं पर गहरी दृष्टि है।

7.हिंदी नवजागरण और राष्ट्रीयता

आधुनिक हिंदी साहित्य ने राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता संग्राम को भी अपने काव्य और गद्य का विषय बनाया। इस साहित्य ने भारतीय जनता में राष्ट्रीय जागरूकता, संप्रभुता और मूल्यों के प्रति सशक्त विचार प्रस्तुत किए।
उदाहरण- रवींद्रनाथ ठाकुर के “गीतांजलि” में भारतीय संस्कृति और आत्मनिर्भरता का संदेश है, जबकि सुमित्रानंदन पंत और प्रसाद ने भारतीय राष्ट्रीयता और स्वाधीनता संग्राम के संदर्भ में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की हैं।

निष्कर्ष

आधुनिक हिंदी साहित्य ने पारंपरिक साहित्यिक रूपों से बाहर जाकर समाज की वास्तविकताओं, व्यक्ति की आंतरिक जद्दोजहद, और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की दिशा में काम किया। समाजवाद, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, राष्ट्रीयता, नारी जागरूकता और यथार्थवाद के प्रभाव में यह साहित्य विकसित हुआ, और इसके माध्यम से साहित्यकारों ने अपने समाज को एक नए दृष्टिकोण से देखने और समझने का अवसर प्रदान किया।


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