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ईदगाह बालक हामिद और दादी का अटूट प्रेम Eidgah boy Hamid and grandmother unbreakable love


ईदगाह बालक हामिद और दादी का अटूट प्रेम Eidgah boy Hamid and grandmother unbreakable love

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। Eidgah boy Hamid and grandmother unbreakable love

“ईदगाह” मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध और मार्मिक कहानी है, जो एक छोटे बच्चे हामिद और उसकी दादी के स्नेह और बलिदान को उजागर करती है। यह कहानी प्रेम, त्याग, और सरलता के अद्भुत चित्रण के लिए जानी जाती है।

कहानी का सारांश

कहानी की पृष्ठभूमि

गाँव में ईद का त्योहार आने वाला है। चारों ओर खुशियों का माहौल है। बच्चे और बड़े सभी नए कपड़े पहनने और मेले में जाने की तैयारी में हैं। लेकिन कहानी का नायक, चार साल का हामिद, गरीब और अनाथ है। वह अपनी दादी अम्मी जान के साथ रहता है, जिसने उसे पाल-पोसकर बड़ा किया है। हामिद के माता-पिता का निधन हो चुका है, और उसकी दादी उसकी देखभाल करती है।

ईद की सुबह

ईद की सुबह होती है। सभी बच्चे नए कपड़े और जूते पहनकर खुश नजर आते हैं। हामिद के पास न तो नए कपड़े हैं और न ही अच्छे जूते। फिर भी, वह खुश और संतुष्ट है, क्योंकि उसकी दादी उसे समझाती है कि अल्लाह उनकी गरीबी को दूर करेगा। वह अपनी दादी की बातें मानकर खुश हो जाता है।

मेले में जाना

हामिद अपने दोस्तों के साथ मेले में जाता है। उसके दोस्तों के पास पैसे हैं, और वे खिलौने, मिठाइयाँ, और चूड़ियाँ खरीदते हैं। लेकिन हामिद के पास केवल तीन पैसे हैं। वह बहुत सावधानी से इन पैसों को खर्च करने का सोचता है।

दादी के लिए चिमटा खरीदना

मेला घूमते समय हामिद को याद आता है कि उसकी दादी जब चूल्हे पर रोटियाँ सेंकती हैं, तो उनके हाथ जल जाते हैं। वह सोचता है कि अगर वह उनके लिए चिमटा खरीद ले, तो उनके हाथ नहीं जलेंगे। यह विचार उसके मासूम मन में इतनी गहराई से बैठ जाता है कि वह मिठाइयाँ और खिलौने न खरीदकर चिमटा खरीद लेता है।

हामिद की मासूमियत और दोस्तों की प्रतिक्रिया

हामिद का चिमटा देखकर उसके दोस्त उसका मजाक उड़ाते हैं। वे कहते हैं कि यह खेलने की चीज नहीं है। लेकिन हामिद अपनी दादी के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करते हुए चिमटे के महत्व को बताता है। वह इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानता है।

दादी की प्रतिक्रिया

जब हामिद घर लौटता है और दादी को चिमटा देता है, तो दादी की आँखों में आँसू आ जाते हैं। वह समझ जाती हैं कि उनका नन्हा पोता खिलौने और मिठाइयों का मोह छोड़कर उनके लिए चिमटा खरीद लाया। यह उनके बीच के स्नेह और त्याग का सबसे बड़ा प्रमाण है।

कहानी का संदेश

1. त्याग और स्नेह- हामिद की दादी के प्रति निस्वार्थ प्रेम और त्याग कहानी का मुख्य संदेश है।
2. गरीबी और आत्मसम्मान- गरीबी के बावजूद हामिद की संतुष्टि और दादी के प्रति उसकी चिंता, जीवन की सच्ची संपत्ति को उजागर करती है।
3. मूल्य और महत्त्व- कहानी यह सिखाती है कि सच्ची खुशी और संपत्ति भौतिक चीज़ों में नहीं, बल्कि प्रेम और कर्तव्य में है

मुख्य पात्रों का चरित्र चित्रण

1. हामिद-
– मासूम, परिपक्व सोच वाला बच्चा।
– अपने दोस्तों के खिलौनों और मिठाइयों से प्रभावित न होकर दादी की चिंता करता है।
– त्याग और प्रेम का प्रतीक।

2. अम्मी जान (दादी)-
– गरीब लेकिन स्नेह और प्रेम से भरी हुई।
– हामिद के प्रति गहरी ममता और जिम्मेदारी का भाव रखती हैं।
– जब हामिद चिमटा लाता है, तो वह गर्वित और भावुक हो जाती हैं।

कहानी का अंत

कहानी का अंत भावुक और प्रेरणादायक है। यह हामिद और उसकी दादी के बीच गहरे स्नेह को दिखाता है। यह कहानी बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी यह सिखाती है कि प्रेम और त्याग ही जीवन के सच्चे मूल्य हैं।

नीचे “ईदगाह” कहानी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर विस्तार से दिए गए हैं। ये प्रश्न कहानी की समझ, मुख्य पात्रों की विशेषताओं, और संदेश पर आधारित हैं।

प्रश्न 1- कहानी का मुख्य पात्र हामिद कैसा लड़का है? उसके चरित्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
हामिद एक चार साल का अनाथ और गरीब लड़का है, जो अपनी दादी अम्मी जान के साथ रहता है। उसके चरित्र की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. मासूम और भोला- वह उम्र में छोटा है, लेकिन उसकी सोच और भावनाएँ परिपक्व हैं।
2. दयालु और संवेदनशील- वह अपनी दादी की कठिनाइयों को समझता है और उनके लिए चिमटा खरीदने का निश्चय करता है।

3. त्यागी- मेला देखकर भी वह मिठाइयों और खिलौनों की इच्छा को त्याग देता है।
4. व्यावहारिक- वह तीन पैसे का सही उपयोग करता है और ऐसी वस्तु खरीदता है जो दादी के काम आए।
5. स्नेही- दादी के प्रति उसका प्रेम और सम्मान गहराई से प्रकट होता है।

प्रश्न 2- हामिद ने मेला घूमते समय अपने तीन पैसे का उपयोग कैसे किया? इसके पीछे उसकी क्या सोच थी?
उत्तर-
हामिद ने मेला घूमते समय अपने तीन पैसे का उपयोग अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदने में किया। उसने देखा था कि जब दादी चूल्हे पर रोटियाँ सेंकती हैं, तो उनके हाथ जल जाते हैं। यह बात उसके मन को कचोटती थी। उसकी सोच यह थी कि चिमटा खरीदने से दादी के हाथ नहीं जलेंगे। यह उसके निस्वार्थ प्रेम और दादी के प्रति उसकी चिंता को दर्शाता है।

प्रश्न 3- हामिद के दोस्तों ने चिमटे को देखकर कैसी प्रतिक्रिया दी?
उत्तर-
हामिद के दोस्तों ने चिमटे को देखकर उसका मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि चिमटा कोई खेलने की चीज नहीं है और यह दिखने में भी अच्छा नहीं है। लेकिन हामिद ने चिमटे के महत्व को समझाते हुए कहा कि यह चूल्हे पर रोटियाँ सेंकने के लिए है और इससे हाथ नहीं जलेंगे। वह चिमटे की उपयोगिता और अपने निर्णय पर गर्व महसूस करता है।

प्रश्न 4- अम्मी जान (हामिद की दादी) ने चिमटा देखकर कैसी प्रतिक्रिया दी?
उत्तर-
जब हामिद चिमटा लेकर घर लौटा, तो अम्मी जान शुरू में गुस्सा हो गईं और बोलीं कि उसने मिठाई या खिलौने क्यों नहीं खरीदे। लेकिन जब हामिद ने चिमटा खरीदने का कारण बताया, तो अम्मी जान भावुक हो गईं। उनकी आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने हामिद को गले से लगा लिया। यह चिमटा उनके लिए अनमोल हो गया क्योंकि यह हामिद के स्नेह और त्याग का प्रतीक था।

प्रश्न 5- कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर-
“ईदगाह” कहानी का मुख्य संदेश यह है कि सच्चा प्रेम निस्वार्थ होता है और उसमें त्याग का भाव छिपा होता है।
1. प्रेम और बलिदान- हामिद का अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदना दर्शाता है कि सच्चा प्रेम भौतिक वस्तुओं से ऊपर होता है।
2. सरलता और संतोष- कहानी यह भी सिखाती है कि खुशी छोटे-छोटे कार्यों और रिश्तों में छिपी होती है।
3. कर्तव्य और परिपक्वता- हामिद ने अपनी उम्र से अधिक परिपक्वता दिखाई और अपने पैसे का सही उपयोग किया।

प्रश्न 6- हामिद के दोस्तों और हामिद के व्यवहार में क्या अंतर था?
उत्तर-
हामिद के दोस्त                                       हामिद
मिठाइयाँ, खिलौने, और चूड़ियाँ खरीदीं।            चिमटा खरीदा।
केवल अपनी इच्छाओं को पूरा किया।           दादी के लिए सोचा।
हामिद का मजाक उड़ाया। |              अपने निर्णय पर गर्व महसूस किया।
तात्कालिक सुख के लिए खर्च किया।  दूरदर्शिता दिखाते हुए खर्च किया।

प्रश्न 7- कहानी का शीर्षक “ईदगाह” क्यों रखा गया है?
उत्तर-
कहानी का शीर्षक “ईदगाह” प्रतीकात्मक है क्योंकि ईदगाह जाने के दौरान ही कहानी के मुख्य घटनाक्रम घटित होते हैं। हामिद अपने दोस्तों के साथ ईदगाह जाता है, जहाँ उसकी सच्ची भावनाएँ और त्याग प्रकट होते हैं। यह शीर्षक कहानी की भावना और उसके संदेश को व्यक्त करता है।

प्रश्न 8- मुंशी प्रेमचंद ने “ईदगाह” कहानी में गरीबी का चित्रण कैसे किया है?
उत्तर-
कहानी में गरीबी का चित्रण अत्यंत यथार्थवादी और मार्मिक है।
1. हामिद के हालात- वह अनाथ है और अपनी दादी के साथ रहता है। उसके पास न तो नए कपड़े हैं और न ही अच्छे जूते।
2. अम्मी जान की स्थिति- दादी गरीब हैं, लेकिन हामिद के पालन-पोषण के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश करती हैं।
3. त्याग का महत्व- गरीबी के बावजूद हामिद और उसकी दादी के बीच का प्रेम और त्याग दिखाता है कि सच्ची खुशी भौतिक संपत्ति में नहीं है।

प्रश्न 9- हामिद के चरित्र से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर-
हामिद का चरित्र हमें यह सिखाता है-
1. निस्वार्थ प्रेम- हमें अपनों के लिए निस्वार्थ होकर सोचना चाहिए।
2. त्याग का महत्व- सच्चे प्रेम में त्याग और बलिदान का विशेष स्थान है।
3. दूरदर्शिता- अपने कार्यों में दूरदर्शिता और व्यावहारिकता का होना जरूरी है।
4. संतोष- गरीबी के बावजूद हामिद का संतोष और खुशमिजाजी हमें सिखाती है कि जीवन में छोटी-छोटी चीज़ों में भी खुशी ढूँढनी चाहिए।

प्रश्न 10- “ईदगाह” कहानी का अंत मार्मिक क्यों है?
उत्तर-
कहानी का अंत अत्यंत मार्मिक और भावुक है। जब हामिद अपनी दादी के लिए चिमटा लेकर आता है, तो दादी यह समझ जाती हैं कि उनका नन्हा पोता उनके लिए कितनी गहरी चिंता करता है। उनका गुस्सा आँसुओं में बदल जाता है, और यह प्रेम और त्याग की पराकाष्ठा को दर्शाता है। कहानी का यह अंत पाठकों के दिल को छू जाता है और उन्हें रिश्तों की गहराई और सच्चे प्रेम का महत्व समझाता है।


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