डिजिटल इंडिया एक नई दिशा Digital India A New Direction
शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। Digital India: A New Direction
डिजिटल इंडिया: एक नई दिशा
“डिजिटल इंडिया” भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देश को एक डिजिटल शक्ति में बदलना है। यह पहल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च की गई थी और इसके अंतर्गत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के माध्यम से सरकारी सेवाओं, व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य को सशक्त बनाने पर जोर दिया गया है।
प्रमुख उद्देश्यों
1.सरकार की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य सरकारी प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाना है। ई-गवर्नेंस के माध्यम से नागरिकों को विभिन्न सेवाएं जैसे आधार, पासपोर्ट, और अन्य सरकारी प्रमाण पत्र ऑनलाइन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
2.डिजिटल अवसंरचना का विकास- देश भर में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार किया जा रहा है। “बंदूक” जैसे कार्यक्रमों के तहत, ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंच बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
3.वित्तीय समावेशन- डिजिटल इंडिया के अंतर्गत, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जा रहा है। जन धन योजना के माध्यम से लाखों लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा गया है।
4.शिक्षा में सुधार- ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्म और ई-लर्निंग संसाधनों का विकास किया जा रहा है, जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
5.स्वास्थ्य सेवाएं- डिजिटल इंडिया के अंतर्गत, टेलीमेडिसिन और ई-स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है, जिससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो सकें।
चुनौतियाँ
हालांकि डिजिटल इंडिया के कई लाभ हैं, इसके साथ ही कुछ चुनौतियाँ भी हैं-
1.डिजिटल विभाजन- देश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन एक बड़ी समस्या है। ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी पहुँच की कमी के कारण योजनाओं का लाभ सभी को नहीं मिल पा रहा है।
2.साइबर सुरक्षा- बढ़ती डिजिटल गतिविधियों के साथ साइबर सुरक्षा का खतरा भी बढ़ा है। सुरक्षित और संरक्षित डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने की आवश्यकता है।
3.तकनीकी शिक्षा- डिजिटल इंडिया के लाभों को हासिल करने के लिए लोगों को तकनीकी ज्ञान और कौशल में प्रशिक्षित करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
डिजिटल इंडिया एक संभावनाओं से भरा कार्यक्रम है, जो भारत को एक तकनीकी रूप से सशक्त राष्ट्र में बदलने की दिशा में अग्रसर है। इसके सफल कार्यान्वयन के लिए आवश्यक है कि सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक मिलकर काम करें। यदि चुनौतियों का सामना किया जाए, तो डिजिटल इंडिया भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और इसे वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बना सकता है।
ओल्ड इंडिया पर विस्तार से वर्णन लिखिए।
ओल्ड इंडिया: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
“ओल्ड इंडिया” की अवधारणा भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन इतिहास, संस्कृति, परंपराओं और सभ्यता का एक समग्र चित्रण प्रस्तुत करती है। यह वह भारत है जो प्राचीनकाल से लेकर मध्यकालीन काल तक अपनी विविधता, समृद्धि और विशेषताओं के लिए जाना जाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1.प्राचीन सभ्यता- भारत की प्राचीन सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500 ईसा पूर्व) है। यहाँ के नगर जैसे हड़प्पा और मोहनजोदड़ो ने उच्चतम शहरीकरण और व्यवस्थित जीवनशैली का परिचय दिया।
2.वैदिक काल- इस काल में वेदों की रचना हुई, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक विचारों का आधार बने। जाति व्यवस्था, शिक्षा और धार्मिक परंपराएँ इसी समय विकसित हुईं।
3.महाजनपद और साम्राज्य- 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास, भारत में 16 महाजनपदों का उदय हुआ। इस दौरान महात्मा बुद्ध और महावीर जैसे धार्मिक सुधारकों का भी उदय हुआ।
4.मौर्य साम्राज्य- चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित यह साम्राज्य भारत का पहला एकीकृत साम्राज्य था। अशोक के शासन में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ, जिसने भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला।
5.गुप्त साम्राज्य- इसे भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग माना जाता है, जहाँ विज्ञान, गणित, कला और साहित्य में अद्वितीय प्रगति हुई।
सांस्कृतिक धरोहर
1.धर्म और अध्यात्म- ओल्ड इंडिया का सांस्कृतिक ताना-बाना विविध धर्मों और आस्थाओं से भरा हुआ है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और later इस्लाम के आगमन ने धार्मिक और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा दिया।
2.कला और वास्तुकला- प्राचीन भारत में स्थापत्य कला की बेमिसाल कृतियाँ देखने को मिलती हैं, जैसे कि ताज महल, खजुराहो के मंदिर, और अजंता-एलोरा की गुफाएँ। ये सभी भारतीय कला और स्थापत्य का अद्वितीय उदाहरण हैं।
3.भाषा और साहित्य- संस्कृत, प्राकृत और बाद में फारसी और उर्दू जैसी भाषाओं ने साहित्यिक धारा को समृद्ध किया। कालिदास, भास, और बाणभट्ट जैसे कवियों ने भारतीय साहित्य को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
4.संगीत और नृत्य- ओल्ड इंडिया की संगीत और नृत्य परंपराएँ भी बेहद समृद्ध हैं। शास्त्रीय संगीत (हिंदुस्तानी और कर्नाटिक) और नृत्य (भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी) ने सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया है।
सामाजिक संरचना
ओल्ड इंडिया में सामाजिक संरचना जटिल थी, जिसमें जाति व्यवस्था, परिवार की भूमिका, और सामुदायिक जीवन का विशेष महत्व था। ग्रामीण समुदायों का सामाजिक ताना-बाना परिवार और परंपराओं पर आधारित था, जबकि नगरों में व्यापार और उद्योग की व्यवस्था विकसित हो रही थी।
निष्कर्ष
ओल्ड इंडिया न केवल एक ऐतिहासिक संदर्भ है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और पहचान की जड़ों को भी दर्शाता है। इसके अनेकों पहलुओं ने भारत को एक विविधतापूर्ण और समृद्ध राष्ट्र बनाने में योगदान दिया है। आज, ओल्ड इंडिया की धरोहर आधुनिक भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण आधार है, जो हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत को समझने और सराहने का अवसर देती है।
ओल्ड इंडिया और डिजिटल इंडिया में अंतर स्पष्ट कीजिए।
ओल्ड इंडिया और डिजिटल इंडिया के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और सामाजिक दृष्टिकोण से स्पष्ट होते हैं। यहाँ इन दोनों अवधारणाओं का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है-
1.ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ओल्ड इंडिया- यह प्राचीन और मध्यकालीन भारत की संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं को दर्शाता है। इसमें सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, मौर्य और गुप्त साम्राज्य जैसे महत्वपूर्ण युग शामिल हैं।
डिजिटल इंडिया- यह एक समकालीन कार्यक्रम है, जिसे 2015 में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य भारत को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना और डिजिटल अवसंरचना को मजबूत करना है।
2.तकनीकी दृष्टिकोण
ओल्ड इंडिया- इस समय में सूचना और संचार के पारंपरिक साधनों का प्रयोग होता था, जैसे ग्रंथ, oral tradition और शिल्पकला।
डिजिटल इंडिया- यह सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और इंटरनेट के माध्यम से संचालित होता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, मोबाइल ऐप्स, और ई-गवर्नेंस इसके प्रमुख अंग हैं।
3.सामाजिक संरचना
ओल्ड इंडिया- यहाँ परंपराएँ, जाति व्यवस्था और परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण थीं। समाज मुख्य रूप से कृषि आधारित था और अधिकतर स्थानीय समुदायों पर निर्भर था।
डिजिटल इंडिया- यह एक अधिक वैश्वीकृत और कनेक्टेड समाज को दर्शाता है। जानकारी का प्रसार तेज है, और आर्थिक गतिविधियाँ अधिकतर डिजिटल हो गई हैं।
4.आर्थिक ढांचा
ओल्ड इंडिया- अर्थव्यवस्था कृषि आधारित थी, जिसमें हस्तशिल्प, व्यापार और सामुदायिक उद्योगों की प्रमुखता थी।
डिजिटल इंडिया- यहाँ ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने पर जोर दिया जा रहा है। स्टार्टअप्स, ई-कॉमर्स और तकनीकी नवाचारों का महत्व बढ़ रहा है।
5.शिक्षा और जानकारी का प्रसार
ओल्ड इंडिया- शिक्षा का मुख्य स्रोत गुरुकुल और स्थानीय विद्यालय थे, जहाँ शास्त्र और परंपराएँ पढ़ाई जाती थीं।
डिजिटल इंडिया- ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल लाइब्रेरी और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, जिससे ज्ञान का प्रसार अधिक सुलभ हो गया है।
निष्कर्ष
ओल्ड इंडिया और डिजिटल इंडिया दोनों ही अपने-अपने समय की विशेषताएँ दर्शाते हैं। ओल्ड इंडिया हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जबकि डिजिटल इंडिया वर्तमान और भविष्य की तकनीकी दिशा को दर्शाता है। दोनों का अध्ययन हमें भारतीय समाज के विकास की यात्रा को समझने में मदद करता है।