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यथार्थ क्रिया और अनीत क्रिया के बीच अंतर स्पष्ट Clear difference real and unreal action


यथार्थ क्रिया और अनीत क्रिया के बीच अंतर स्पष्ट Clear difference real and unreal action

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। Clear difference real and unreal action

यथार्थ क्रिया और अनीत क्रिया के बीच का अंतर हिंदी व्याकरण में एक महत्वपूर्ण बिंदु है। इन दोनों प्रकार की क्रियाओं का उपयोग वाक्य में अलग-अलग संदर्भों में किया जाता है, और उनका अर्थ भी अलग होता है।

1. यथार्थ क्रिया (Real Action Verbs)

यथार्थ क्रिया वह क्रिया होती है, जो किसी वास्तविक कार्य या क्रिया को व्यक्त करती है। यथार्थ क्रिया में व्यक्ति या वस्तु के द्वारा किया जाने वाला कार्य स्पष्ट और प्रत्यक्ष होता है। इसे हम साधारण क्रिया भी कह सकते हैं। ये क्रियाएँ वास्तविक, भौतिक और प्रत्यक्ष कार्यों का संकेत देती हैं, जो हमें अनुभव से ज्ञात होते हैं।

उदाहरण
खाना (मैं खाना खाता हूँ।)
(यह एक वास्तविक कार्य है, जो व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है।)
पढ़ना (वह किताब पढ़ता है।)
(यह भी एक वास्तविक कार्य है, जो किसी व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है।)
चलना (वह स्कूल जाता है।)
(यह एक स्पष्ट, भौतिक और वास्तविक कार्य है।)

यथार्थ क्रिया का प्रयोग तब किया जाता है जब हम किसी कार्य का सामान्य और वास्तविक रूप से उल्लेख करते हैं, जैसे खाना, लिखना, सोना, जाना आदि।

2. अनीत क्रिया (Non-Real Action Verbs)

अनीत क्रिया वह क्रिया होती है, जो किसी अप्रत्यक्ष, मानसिक, या भावनात्मक कार्य को व्यक्त करती है। इस प्रकार की क्रियाएँ आमतौर पर व्यक्ति के भावनात्मक या मानसिक कार्यों से संबंधित होती हैं। अनीत क्रिया में कार्य का वास्तविक रूप नहीं होता, बल्कि यह क्रिया किसी स्थिति, मानसिक अवस्था, विचार या भावना को व्यक्त करती है।

उदाहरण
सोचना (मैं सोचता हूँ।)
(यह एक मानसिक प्रक्रिया है, जो किसी विचार या मनन को व्यक्त करती है।)
इच्छा करना (वह छुट्टी पर जाने की इच्छा करता है।)
(यह एक भावना है, जिसे व्यक्त किया जा रहा है।)
जानना (मैं उसे जानता हूँ।)
(यह किसी व्यक्ति के बारे में मानसिक जानकारी या समझ को व्यक्त करता है।)

अनीत क्रिया का प्रयोग तब होता है जब हम किसी मानसिक स्थिति, भावना या विचार की स्थिति को व्यक्त करते हैं, जैसे सोचना, चाहना, समझना, मानना, पसंद करना आदि।

मुख्य अंतर

यथार्थ क्रिया

यह वास्तविक और भौतिक कार्यों को व्यक्त करती है।
यह क्रिया स्पष्ट रूप से किए जाने वाले कार्य को व्यक्त करती है।
उदाहरण- खाना, लिखना, चलना, देखना

अनीत क्रिया

यह मानसिक, भावनात्मक या अप्रत्यक्ष कार्यों को व्यक्त करती है। यह क्रिया केवल मानसिक अवस्थाओं, विचारों, भावनाओं या स्थितियों को व्यक्त करती है।

उदाहरण- सोचना, चाहना, मानना, जानना

यथार्थ क्रिया (Real Verb) और अनीत क्रिया (Irregular Verb) की विशेषताएँ

1.यथार्थ क्रिया (Real Verb)

यथार्थ क्रियाएँ वे क्रियाएँ होती हैं जो सामान्य रूप से अपने रूप में परिवर्तन करती हैं और इनका एक निश्चित नियम होता है।

विशेषताएँ

– इनका रूप नियमबद्ध होता है।
– समय और काल के अनुसार इनका परिवर्तन स्पष्ट होता है।
– उदाहरण- जाना, पढ़ना, लिखना।
– वर्तमान- मैं पढ़ता हूँ।
– भूतकाल- मैं पढ़ा।
– भविष्यकाल- मैं पढ़ूँगा।

2.अनीत क्रिया (Irregular Verb)

अनीत क्रियाएँ वे क्रियाएँ होती हैं जिनका रूप किसी निश्चित नियम का पालन नहीं करता।

विशेषताएँ

– इनका रूप समय और काल के अनुसार अप्रत्याशित रूप से बदलता है।
– इनके परिवर्तन का कोई निश्चित नियम नहीं होता।
– उदाहरण- होना, करना, देना।
– वर्तमान- मैं हूँ।
– भूतकाल- मैं था।
– भविष्यकाल- मैं रहूँगा।

व्याकरण में योगदान

  • यथार्थ क्रियाएँ वाक्य निर्माण को सुगम बनाती हैं।
  • अनीत क्रियाएँ भाषा को प्राकृतिक और अभिव्यक्तिपूर्ण बनाती हैं।
    दोनों प्रकार की क्रियाएँ मिलकर भाषा के व्याकरण को संतुलित और पूर्ण बनाती हैं।

निष्कर्ष

यथार्थ क्रिया और अनीत क्रिया के बीच मुख्य अंतर यह है कि यथार्थ क्रिया वास्तविक, भौतिक और प्रत्यक्ष कार्यों का संकेत देती है, जबकि अनीत क्रिया मानसिक, भावनात्मक या मानसिक स्थिति को व्यक्त करती है।


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