भूषण वीर रस के अद्वितीय कवि हैं, निराला के काव्य में छायावाद। Bhushan is a unique poet of heroic sentiments, there is Chhayavaad in Nirala’s poetry.

भूषण वीर रस के अद्वितीय कवि हैं, निराला के काव्य में छायावाद। Bhushan is a unique poet of heroic sentiments, there is Chhayavaad in Nirala's poetry.

भूषण वीर रस के अद्वितीय कवि हैं, निराला के काव्य में छायावाद। Bhushan is a unique poet of heroic sentiments, there is Chhayavaad in Nirala’s poetry. शुरुवात से अंत तक जरूर पढ़ें। (1) भूषण वीर रस के अद्वितीय कवि हैं — विस्तृत टिप्पणी हिंदी साहित्य में वीर रस के कवियों की परंपरा बहुत पुरानी है, … Read more

तुलसीदास का समस्त काव्य समन्वय की विराट चेतना है। इस कथन की विवेचना कीजिए। The entire poetry of Tulsidas is a vast consciousness of coordination. Discuss this statement.

तुलसीदास का समस्त काव्य समन्वय की विराट चेतना है। इस कथन की विवेचना कीजिए। The entire poetry of Tulsidas is a vast consciousness of coordination. Discuss this statement.

तुलसीदास का समस्त काव्य समन्वय की विराट चेतना है। इस कथन की विवेचना कीजिए। The entire poetry of Tulsidas is a vast consciousness of coordination. Discuss this statement. शुरुवात से अंत तक जरूर पढ़ें। भूमिका भारतीय काव्य परंपरा में तुलसीदास का स्थान अत्यंत विशिष्ट और गौरवपूर्ण है। उन्होंने न केवल भक्ति काव्यधारा को समृद्ध किया, … Read more

तुलसीदास का समस्त काव्य समन्वय की विराट चेतना है। इस कथन की विवेचना कीजिए। Vidyapati’s contribution in the tradition of lyric poetry

तुलसीदास का समस्त काव्य समन्वय की विराट चेतना है। इस कथन की विवेचना कीजिए। Vidyapati's contribution in the tradition of lyric poetry

  तुलसीदास का समस्त काव्य समन्वय की विराट चेतना है। इस कथन की विवेचना कीजिए।Vidyapati’s contribution in the tradition of lyric poetry शुरुवात से अंत तक जरूर पढ़ें। भूमिका भारतीय साहित्य और संस्कृति के इतिहास में तुलसीदास एक ऐसे युगद्रष्टा कवि के रूप में स्थापित हैं, जिनका समस्त काव्य समन्वय की भावना से ओत-प्रोत है। … Read more

गीतिकाव्य की परंपरा में विद्यापति का योगदान Vidyapati’s contribution in the tradition of lyric poetry

गीतिकाव्य की परंपरा में विद्यापति का योगदान Vidyapati's contribution in the tradition of lyric poetry

गीतिकाव्य की परंपरा में विद्यापति का योगदान Vidyapati’s contribution in the tradition of lyric poetry शुरुवात से अंत तक जरूर पढ़ें। भूमिका: भारतीय काव्य परंपरा में गीति काव्य (लिरिक काव्य) का एक विशिष्ट स्थान रहा है। गीति काव्य वह काव्य होता है जिसमें भावना की प्रधानता होती है और जो संगीत के साथ गाया जा … Read more

कामायनी के श्रद्धा सर्ग प्रयोगवाद और अज्ञेय Kamayani’s Shraddha Sarga Experimentalism and Ajneya

कामायनी के श्रद्धा सर्ग प्रयोगवाद और अज्ञेय Kamayani's Shraddha Sarga Experimentalism and Ajneya

कामायनी के श्रद्धा सर्ग प्रयोगवाद और अज्ञेय Kamayani’s Shraddha Sarga Experimentalism and Ajneya संक्षिप्त टिप्पणी लिखें •(1) कामायनी के श्रद्धा सर्ग की विशेषताएं लिखिए। •(2) प्रयोगवाद और अज्ञेय। शुरुवात से अंत तक जरूर पढ़ें। (1) कामायनी के श्रद्धा सर्ग की विशेषताएँ कामायनी (1936) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित हिंदी का एक महत्वपूर्ण प्रगतिशील-मननशील काव्य है। यह छंदबद्ध महाकाव्य … Read more

कबीर प्रकृति से क्रांतिकारी स्वभाव से समाज सुधारक और अनुभूति से कवि Kabir was a revolutionary by nature a social reformer by temperament and a poet by spirit.

कबीर प्रकृति से क्रांतिकारी स्वभाव से समाज सुधारक और अनुभूति से कवि Kabir was a revolutionary by nature a social reformer by temperament and a poet by spirit.

कबीर प्रकृति से क्रांतिकारी स्वभाव से समाज सुधारक और अनुभूति से कवि Kabir was a revolutionary by nature a social reformer by temperament and a poet by spirit. शुरू से अंत तक पढ़ें। 1. भूमिका भारतीय संत परंपरा में कबीर का नाम अत्यंत सम्मान और प्रेरणा से लिया जाता है। वे ऐसे कवि थे, जिन्होंने … Read more

पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता प्रकाश डालिए Throw light the authenticity of Prithviraj Raso

पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता प्रकाश डालिए Throw light the authenticity of Prithviraj Raso

पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता प्रकाश डालिए। शुरुवात से अंत तक जरूर पढ़ें। भूमिका भारतीय साहित्य के मध्यकालीन युग में ‘पृथ्वीराज रासो’ एक अत्यंत प्रसिद्ध और चर्चित काव्यग्रंथ है, जिसे हिंदी के आदिकाव्य के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। इस काव्य का रचयिता कवि चंदबरदाई माने जाते हैं, जो पृथ्वीराज चौहान के समकालीन और उनके … Read more

पाठ-1 सूरदास

पाठ-1 सूरदास

click here for pdf> क्षितिज पाठ-1 सूरदास का जन्म सन् 1478 में माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार उनका जन्म मथुरा के निकट रुनकता या रेणुका क्षेत्र में हुआ जबकि दूसरी मान्यता के अनुसार उनका जन्म-स्थान दिल्ली के पास सीही माना जाता है। महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य सूरदास अष्टछाप के कवियों में सर्वाधिक प्रसिद्ध … Read more

सूरदास का काव्य भक्ति Surdas’s poetic devotion

सूरदास का काव्य भक्ति Surdas's poetic devotion

सूरदास का काव्य भक्ति Surdas’s poetic devotion सूरदास हिंदी साहित्य और भक्ति काव्य के प्रमुख कवि माने जाते हैं। वे कृष्ण भक्त कवियों की श्रृंखला में सबसे ऊँचा स्थान रखते हैं। सूरदास को विशेष रूप से वात्सल्य और श्रृंगार रस के कवि के रूप में जाना जाता है। उनकी रचनाएँ भक्ति भावना और श्रीकृष्ण के … Read more

बीरबल और अकबर की सवालो भरी कहानियाँ Questioning stories of Birbal and Akbar

बीरबल और अकबर की सवालो भरी कहानियाँ Questioning stories of Birbal and Akbar

बीरबल और अकबर की सवालो भरी कहानियाँ Questioning stories of Birbal and Akbar शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। Questioning stories of Birbal and Akbar बीरबल और अकबर की कहानियाँ भारतीय इतिहास और लोककथाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो अकबर के दरबार में बीरबल की बुद्धिमत्ता और चतुराई को दर्शाती हैं। इनमें से कई … Read more