सिंह और चूहा
लेखक- विष्णु वर्मा
यह कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी छोटा या कमजोर नहीं होता, और कभी-कभी छोटे प्राणी भी बड़ी मदद कर सकते हैं।
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कहानी का सारांश – सिंह और चूहा
एक जंगल में एक बलवान सिंह रहता था। एक दिन वह भोजन करने के बाद एक बड़े पेड़ के नीचे आराम करने लेट गया। उसी समय, पास में रहने वाला एक छोटा चूहा खेलते-खेलते वहाँ आ गया। खेलते हुए चूहा सिंह के शरीर पर चढ़ गया।
सिंह को अचानक यह महसूस हुआ कि कोई उसके शरीर पर चल रहा है। गुस्से में आकर सिंह ने चूहे को अपने पंजों में पकड़ लिया और उसे मारने की तैयारी करने लगा।
चूहा डर गया और काँपते हुए बोला, “हे जंगल के राजा! कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मुझसे अनजाने में गलती हो गई। यदि आप मुझे छोड़ देंगे, तो मैं एक दिन आपकी मदद जरूर करूंगा।”
सिंह यह सुनकर हँसने लगा और बोला, “तुम जैसे छोटे चूहे मेरी मदद कैसे कर सकते हो?” लेकिन सिंह ने चूहे को मारने के बजाय छोड़ दिया।
कुछ दिनों बाद, सिंह जंगल में शिकारियों के जाल में फँस गया। उसने बहुत कोशिश की, लेकिन जाल से खुद को छुड़ा नहीं पाया। सिंह ने जोर-जोर से दहाड़ना शुरू किया।
सिंह की आवाज सुनकर वही छोटा चूहा वहाँ आया। उसने सिंह से कहा, “महाराज, आप चिंता न करें। मैं आपकी मदद करता हूँ।” चूहा अपने नुकीले दाँतों से जाल को काटने लगा। कुछ ही देर में जाल कट गया, और सिंह आज़ाद हो गया।
सिंह ने चूहे का धन्यवाद किया और स्वीकार किया कि “छोटे भी बड़े काम कर सकते हैं।”
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कहानी से सीख
1. किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए।
2. हर प्राणी का महत्व होता है।
3. दूसरों की मदद करने से रिश्ते और मजबूत बनते हैं।
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कहानी से जुड़े प्रश्न और उत्तर
1. चूहा सिंह के शरीर पर क्यों चढ़ गया?
चूहा खेलते-खेलते अनजाने में सिंह के शरीर पर चढ़ गया था।
2. सिंह ने चूहे को क्यों छोड़ा?
सिंह ने चूहे की विनती सुनकर और उसकी बातों पर हँसते हुए दया कर दी, इसलिए उसे छोड़ दिया।
3. सिंह शिकारियों के जाल में कैसे फँसा?
शिकारी जंगल में जाल बिछाकर चले गए थे, जिसमें सिंह अनजाने में फँस गया।
4. चूहे ने सिंह की कैसे मदद की?
चूहे ने अपने नुकीले दाँतों से जाल को काटकर सिंह को आज़ाद कर दिया।
5. इस कहानी का नैतिक संदेश क्या है?
इस कहानी का नैतिक संदेश है कि छोटे और कमजोर दिखने वाले भी कभी-कभी बड़े और शक्तिशाली प्राणियों की मदद कर सकते हैं।
6. सिंह ने चूहे से क्या सीखा?
सिंह ने सीखा कि किसी को छोटा समझकर उसकी अहमियत नहीं कम आंकनी चाहिए।
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