ईमानदारी पर आधारित ढीर्घ कथा short story based on honesty


ईमानदारी पर आधारित ढीर्घ कथा short story based on honesty

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। short story based on honesty

कथा का नाम- “सच्चाई का मार्ग”

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। उसका सपना था कि वह बड़ा आदमी बने, लेकिन वह कभी भी किसी गलत रास्ते पर नहीं चलना चाहता था। अर्जुन के माता-पिता बहुत साधारण थे, और उनकी खेती-बाड़ी से ही घर का खर्च चलता था। अर्जुन पढ़ाई में भी अच्छा था, और उसे हमेशा अपने अच्छे कामों और ईमानदारी पर गर्व था।

गाँव के पास एक बड़ा व्यापारी रहता था, जिसका नाम मोहनलाल था। मोहनलाल का व्यापार बहुत बढ़ा हुआ था, लेकिन वह एक चालाक और धूर्त व्यक्ति था। वह कभी भी ईमानदारी से काम नहीं करता था और हमेशा दूसरों से गलत तरीके से मुनाफा कमाता था। मोहनलाल ने गाँव में एक बड़ा बाजार खोलने का निश्चय किया, और इसके लिए उसने गाँव के सभी अच्छे कारीगरों और मजदूरों को अपने यहाँ काम करने के लिए बुलाया। short story based on honesty

अर्जुन ने भी सुना था कि मोहनलाल बहुत अच्छे पैसे देता है, और साथ ही उसकी दुकान के पास काम करने से व्यापार में अच्छा अनुभव मिलेगा। अर्जुन ने सोचा, “अगर मुझे अच्छे पैसे मिलेंगे, तो मैं अपने माता-पिता की मदद कर सकूँगा और अपने भविष्य को संवार सकूँगा।” इसलिए उसने मोहनलाल के पास जाकर नौकरी करने का प्रस्ताव रखा। मोहनलाल ने उसे तुरंत काम पर रख लिया और उसे अपने बड़े गोदाम में काम करने को कहा।

शुरुआत में अर्जुन को काम में बहुत मजा आया। वह दिन-रात मेहनत करता और अपने काम को पूरी ईमानदारी से करता। लेकिन कुछ ही समय बाद अर्जुन ने देखा कि मोहनलाल उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार करने लगा। मोहनलाल ने उसे छोटे-छोटे कामों में लगा दिया, और उसका शोषण करने लगा। सबसे बड़ी बात यह थी कि मोहनलाल अपने गोदाम में अक्सर घटिया सामान भेजता था, और ग्राहकों से ज्यादा पैसे लेता था। अर्जुन को यह सब देख कर बहुत ग़ुस्सा आता था, लेकिन वह चुपचाप काम करता रहा, क्योंकि वह डरता था कि अगर उसने आवाज उठाई, तो उसकी नौकरी चली जाएगी।

एक दिन, मोहनलाल ने अर्जुन को गोदाम में कुछ पुराने कपड़े पैक करने के लिए कहा। जब अर्जुन कपड़ों को खोलकर देख रहा था, तो उसने पाया कि उनमें से कुछ कपड़े बिल्कुल नए थे और कुछ की हालत बहुत खराब थी। लेकिन मोहनलाल ने अर्जुन से कहा कि इन कपड़ों को अच्छे बताकर ग्राहकों को बेच दो। अर्जुन को यह देखकर बहुत दुख हुआ, क्योंकि वह जानता था कि यह धोखाधड़ी है। लेकिन उसकी नौकरी दाव पर थी, और उसने सोचा कि अगर उसने विरोध किया, तो मोहनलाल उसे निकाल देगा। short story based on honesty

अर्जुन रातभर सोचता रहा और अंत में उसने एक निर्णय लिया। उसने तय किया कि वह अपनी ईमानदारी को कभी नहीं छोड़ने देगा, भले ही इसके लिए उसे अपनी नौकरी गंवानी पड़े। अगली सुबह, उसने मोहनलाल से सीधे कहा, “आप जो कर रहे हैं, वह गलत है। मैं ऐसे धोखाधड़ी के काम में शामिल नहीं हो सकता। मुझे यह नौकरी छोड़नी होगी।” मोहनलाल हक्का-बक्का रह गया, और गुस्से में आकर उसने अर्जुन को नौकरी से निकाल दिया। अर्जुन बिना किसी डर के अपने घर लौट आया, लेकिन उसे यह जानकर खुशी हुई कि उसने सही काम किया था।

कुछ महीनों बाद, मोहनलाल का कारोबार ढह गया। उसके धोखाधड़ी के तरीके और खराब गुणवत्ता वाले सामान के कारण ग्राहक धीरे-धीरे उसके पास से हटने लगे। गाँव के लोग अब उससे खरीदारी नहीं करते थे और उसकी दुकान बंद हो गई। अर्जुन ने अपनी ईमानदारी के साथ किसी और काम की शुरुआत की। उसने अपने माता-पिता के साथ मिलकर एक छोटा सा व्यापार शुरू किया, जो जल्दी ही सफल होने लगा। अर्जुन ने अपने काम में ईमानदारी, मेहनत और नेक दिली से काम किया, और उसके व्यापार ने एक नए मुकाम को छुआ।

एक साल बाद, जब गाँव में एक बड़ा मेला हुआ, तो मोहनलाल ने अर्जुन से मिलकर कहा, “अर्जुन, मुझे तुमसे एक बात कहनी है। मैंने जो किया, वह गलत था। तुम्हारी ईमानदारी और सही रास्ते पर चलने की वजह से तुम्हारा व्यापार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, और मेरी दुकान बंद हो गई। मैं समझ गया हूँ कि सच्चाई और ईमानदारी ही जीवन का सबसे अच्छा मार्ग है।”

अर्जुन मुस्कुराया और कहा, “सच्चाई और ईमानदारी का मार्ग हमेशा कठिन होता है, लेकिन यह अंततः सही फल देता है। अगर आप ईमानदारी से काम करेंगे, तो भगवान आपको कभी न कभी उसका पुरस्कार जरूर देंगे।” short story based on honesty

निष्कर्ष

इस कथा से हमें यह सीखने को मिलता है कि जीवन में ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण है। चाहे दुनिया हमें बहकावे में डालने के लिए कोई भी रास्ता दिखाए, लेकिन जो रास्ता सच्चाई का है, वही हमेशा फलदायक होता है। अर्जुन की तरह हमें कभी भी गलत रास्ते पर नहीं चलना चाहिए, क्योंकि ईमानदारी से ही हमें सच्ची सफलता और संतुष्टि मिलती है।

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