1. हिन्दी साहित्य के काल विभाजन
हिन्दी साहित्य को चार प्रमुख कालों में विभाजित किया गया है-
(i) आदिकाल (वीरगाथा काल) (10वीं – 14वीं शताब्दी)
– यह काल वीर रस और धर्म प्रचार का काल है।
– साहित्य में प्रमुख रूप से राजाओं के शौर्य और युद्ध का वर्णन मिलता है।
– मुख्य रचनाएँ- पृथ्वीराज रासो (चंदबरदाई), पृथ्वीराज विजय।
– भाषा- अपभ्रंश, ब्रज, और अवधी।
(ii) भक्तिकाल (14वीं – 17वीं शताब्दी)
– यह काल धार्मिक और आध्यात्मिक जागरण का काल है।
– साहित्य दो धाराओं में विभाजित है-
1. निर्गुण भक्ति- ज्ञानमार्गी संत जैसे कबीर, रैदास, दादू।
2. सगुण भक्ति- रामभक्ति (तुलसीदास) और कृष्णभक्ति (सूरदास, मीराबाई)।
– प्रमुख रचनाएँ- रामचरितमानस (तुलसीदास), सूरसागर (सूरदास), साखी (कबीर)।
– भाषा- अवधी, ब्रज।
(iii) रीतिकाल (17वीं – 19वीं शताब्दी)
– यह काल दरबारी साहित्य का है। कवियों ने प्रेम, सौंदर्य और अलंकार पर अधिक ध्यान दिया।
– प्रमुख कवि- बिहारी (बिहारी सतसई), केशवदास, घनानंद।
– भाषा- ब्रज।
(iv) आधुनिक काल (19वीं शताब्दी से वर्तमान)
– यह काल समाज सुधार, राष्ट्रीयता और प्रगतिशील विचारों से प्रभावित है।
– मुख्य धाराएँ-
1. भारतेन्दु युग- भारतेन्दु हरिश्चंद्र (हिन्दी गद्य और नाटक का विकास)।
2. द्विवेदी युग- महावीर प्रसाद द्विवेदी (सामाजिक सुधार और राष्ट्रीयता)।
3. छायावाद- जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, और सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’।
4. प्रगतिवाद और प्रयोगवाद- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, नागार्जुन।
5. आधुनिक साहित्य- समकालीन कवि, कहानीकार और उपन्यासकार।
—
2. प्रमुख साहित्यकार और उनके योगदान – 1. हिन्दी साहित्य के काल विभाजन
(i) कबीर
– निर्गुण भक्ति के प्रमुख कवि।
– जात-पात, कर्मकांड, और अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई।
– मुख्य रचनाएँ- साखी, सबद, रमैनी।
– भाषा- सधुक्कड़ी।
(ii) तुलसीदास
– सगुण रामभक्ति के कवि।
– प्रमुख रचनाएँ- रामचरितमानस, विनय पत्रिका।
– भाषा- अवधी।
(iii) सूरदास
– कृष्णभक्ति के प्रमुख कवि।
– मुख्य रचनाएँ- सूरसागर, सूर सारावली।
– भाषा- ब्रज।
(iv) प्रेमचंद
– उपन्यास सम्राट और सामाजिक यथार्थवादी लेखक।
– मुख्य रचनाएँ- गोदान, गबन, कर्मभूमि, ईदगाह (कहानी)।
– भाषा- खड़ी बोली।
(v) महादेवी वर्मा
– छायावाद की प्रमुख कवयित्री।
– नारीवाद और संवेदनशीलता का चित्रण।
– मुख्य रचनाएँ- यामा (कविता संग्रह), अतीत के चित्र।
(vi) जयशंकर प्रसाद
– छायावादी साहित्य के प्रमुख स्तंभ।
– मुख्य रचनाएँ- कामायनी (महाकाव्य), आंसू (कविता), स्कंदगुप्त (नाटक)।
—
3. काव्यशास्त्र और अलंकार
(i) काव्यशास्त्र
– काव्यशास्त्र वह विज्ञान है जो काव्य के गुण, दोष, रस, और छंद का अध्ययन करता है।
– रस-
– श्रंगार, वीर, करुण, अद्भुत, रौद्र, हास्य, भयानक, वीभत्स, शांति।
– छंद-
– दोहा, चौपाई, सोरठा, रोला।
(ii) अलंकार
अलंकार काव्य को सजाने का माध्यम है।
– शब्दालंकार- अनुप्रास, यमक, श्लेष।
– अर्थालंकार- उपमा, रूपक, अतिशयोक्ति।
—
4. उपन्यास, कहानी, निबंध, और नाटक के प्रमुख उदाहरण
(i) उपन्यास
1. प्रेमचंद- गोदान, गबन।
2. शिवानी- कृष्णकली।
3. यशपाल- झूठा सच।
(ii) कहानी
1. प्रेमचंद- ईदगाह, पूस की रात।
2. रवींद्रनाथ टैगोर- काबुलीवाला।
3. मुंशी जगन्नाथ- फुलवारी।
(iii) निबंध
1. महावीर प्रसाद द्विवेदी- निबंध माला।
2. हजारी प्रसाद द्विवेदी- कुटज।
3. रामचंद्र शुक्ल- चरित्र निर्माण।
(iv) नाटक
1. भारतेन्दु हरिश्चंद्र- अंधेर नगरी।
2. जयशंकर प्रसाद- स्कंदगुप्त।
3. मोहन राकेश- आषाढ़ का एक दिन।
READ ALSO – बालगोबिन भगत पाठ में भगतजी के व्यक्तित्व के कौन-कौन से गुण उभरकर आते हैं
2 thoughts on “1. हिन्दी साहित्य के काल विभाजन”