सावित्री और सत्यवान- प्रेम और त्याग की अमर गाथा

सावित्री और सत्यवान- प्रेम और त्याग की अमर गाथा

सावित्री और सत्यवान की कथा भारतीय पौराणिक कथाओं में पत्नी के प्रेम, त्याग, और निष्ठा का अद्भुत उदाहरण है। यह कहानी महाभारत के वनपर्व में वर्णित है और इसे आदर्श विवाहिता की कथा के रूप में सम्मानित किया जाता है।

कथा का विस्तार  – सावित्री और सत्यवान- प्रेम और त्याग की अमर गाथा

1. सावित्री का जन्म और विवाह
सावित्री राजर्षि अश्वपति और रानी मालवी की पुत्री थीं। वह अतुलनीय रूप से सुंदर, बुद्धिमान और धर्मपरायण थीं। विवाह योग्य होने पर, उन्होंने अपने लिए स्वयं वर खोजने का निर्णय लिया।

सावित्री ने वन में तपस्वी द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को देखा, जो धर्मात्मा और वीर होने के बावजूद दरिद्र थे। सत्यवान की आयु केवल एक वर्ष शेष थी, क्योंकि उसे मृत्यु का श्राप था।

सावित्री ने अपने प्रेम और निष्ठा से सत्यवान को ही अपना पति चुना। उनके निर्णय से नाराज होकर भगवान नारद और उनके पिता ने उन्हें समझाया, लेकिन सावित्री अपने निश्चय पर अडिग रहीं।

2. सत्यवान और सावित्री का दांपत्य जीवन
सावित्री और सत्यवान का विवाह हुआ, और वह अपने पति के साथ वन में रहने लगीं। सावित्री ने सादा जीवन जीते हुए अपने पति और ससुराल की सेवा की।

3. सत्यवान की मृत्यु और सावित्री का त्याग
नारद मुनि के कथनानुसार, सत्यवान की मृत्यु का दिन आ पहुँचा। सावित्री ने उस दिन व्रत रखा और सत्यवान के साथ वन में गईं।

वन में लकड़ियां काटते समय सत्यवान अचेत होकर गिर पड़े और मृत्यु के देवता यमराज उनकी आत्मा लेने आए। सावित्री ने अपने पति के पीछे-पीछे यमराज का पीछा करना शुरू किया।

4. सावित्री की बुद्धिमत्ता और प्रेम की विजय
सावित्री ने यमराज से अपने पति को वापस देने की प्रार्थना की। यमराज ने उसे बार-बार लौट जाने को कहा, लेकिन सावित्री ने अपने विवेक और वाक्पटुता से यमराज को प्रसन्न कर दिया।

सावित्री ने यमराज से क्रमशः अपने ससुर का नेत्र-ज्योति, राज्य का पुनः उद्धार और 100 पुत्रों का वरदान मांगा। यमराज ने उसे यह वरदान दिया, लेकिन 100 पुत्रों की प्राप्ति सत्यवान के बिना असंभव थी। यमराज को अंततः सत्यवान का जीवन लौटाना पड़ा।

5. पुनर्मिलन और सुखमय जीवन
सावित्री अपने पति को पुनर्जीवित कर घर लौटीं। सत्यवान और सावित्री ने अपने ससुर के राज्य को पुनः प्राप्त किया और सुखमय जीवन बिताया। उनकी कथा को नारी शक्ति, प्रेम, और त्याग का प्रतीक माना जाता है।

कहानी से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1- सावित्री के पिता का नाम क्या था?
उत्तर- सावित्री के पिता का नाम राजर्षि अश्वपति था।

प्रश्न 2- सत्यवान किसके पुत्र थे?
उत्तर- सत्यवान द्युमत्सेन के पुत्र थे, जो अपने राज्य से वंचित होकर वन में रहने लगे थे।

प्रश्न 3- यमराज ने सावित्री को कौन-कौन से वरदान दिए?
उत्तर- यमराज ने सावित्री को तीन वरदान दिए-
1. उसके ससुर को नेत्र-ज्योति और राज्य का पुनः उद्धार।
2. 100 पुत्रों का आशीर्वाद।
3. सत्यवान का जीवन वापस।

प्रश्न 4- सावित्री ने सत्यवान की मृत्यु के बाद क्या किया?
उत्तर- सावित्री ने यमराज का पीछा किया और अपनी वाक्पटुता और धर्मपरायणता से उन्हें प्रसन्न करके अपने पति का जीवन वापस ले लिया।

प्रश्न 5- इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर- इस कहानी का मुख्य संदेश है कि प्रेम, त्याग, और निष्ठा के बल पर कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है। यह नारी शक्ति और धर्मपरायणता का अद्भुत उदाहरण है।

इस कथा की विशेषताएँ
1. पत्नी की निष्ठा- सावित्री ने अपने पति के लिए अपार साहस, बुद्धिमत्ता और त्याग का परिचय दिया।
2. धार्मिक मूल्यों का पालन- सावित्री धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हुए यमराज को भी प्रभावित कर सकीं।
3. प्रेरणादायक गाथा- यह कथा बताती है कि सच्चा प्रेम किसी भी बाधा को पार कर सकता है।

सावित्री और सत्यवान की यह अमर गाथा भारतीय संस्कृति में आदर्श नारीत्व का प्रतीक है।

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