राजा हरिश्चंद्र- सत्य और धर्म की अद्भुत गाथा
राजा हरिश्चंद्र भारतीय पौराणिक कथाओं के ऐसे चरित्र हैं, जो सत्य और धर्म के प्रति अपने अद्वितीय समर्पण के लिए विख्यात हैं। उनकी कहानी मानवता, सत्यनिष्ठा, और धैर्य की मिसाल है। इस कथा का उल्लेख अनेक पुराणों और महाकाव्यों में मिलता है, जिसमें राजा हरिश्चंद्र ने जीवन की सबसे कठिन परीक्षाओं का सामना किया और धर्म का पालन किया।
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कथा का सारांश – राजा हरिश्चंद्र- सत्य और धर्म की अद्भुत गाथा
1. सत्य के लिए प्रतिज्ञा
हरिश्चंद्र अयोध्या के राजा थे। वे अपनी सत्यनिष्ठा और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। एक दिन ऋषि विश्वामित्र ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय किया। ऋषि ने स्वप्न में राजा हरिश्चंद्र से उनकी पूरी संपत्ति और राज्य मांग लिया। राजा ने वचन दिया और अपना राज्य, धन, और वैभव त्याग दिया।
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2. वनवास और कठिनाइयाँ
राजा हरिश्चंद्र अपनी पत्नी तारामती और पुत्र रोहिताश्व के साथ वनवास में चले गए। जीविका चलाने के लिए उन्होंने काशी के श्मशान में एक डोम के यहाँ नौकरी कर ली, जहाँ उन्हें शवों के अंतिम संस्कार का कर (टैक्स) लेना पड़ता था। उनकी पत्नी ने एक ब्राह्मण के घर में दासी का काम शुरू कर दिया।
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3. पुत्र की मृत्यु और परीक्षा की चरम सीमा
एक दिन उनके पुत्र रोहिताश्व को सांप ने काट लिया, और उसकी मृत्यु हो गई। दुखी तारामती शव को श्मशान में लेकर पहुँचीं। हरिश्चंद्र ने उन्हें भी शव के अंतिम संस्कार के लिए कर देने को कहा, क्योंकि वे अपने धर्म और सत्य से समझौता नहीं कर सकते थे।
तारामती के पास कर देने के लिए कुछ भी नहीं था, और वह रोने लगीं। उसी समय, ऋषि विश्वामित्र वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने राजा की सत्यनिष्ठा और धैर्य की प्रशंसा की। उन्होंने उनके परिवार को पुनर्जीवित कर दिया और राज्य लौटा दिया।
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4. सत्य की विजय
हरिश्चंद्र ने अपने सत्य और धर्म का पालन करते हुए जो कष्ट सहा, उससे देवता प्रसन्न हुए। उन्होंने हरिश्चंद्र और उनके परिवार को स्वर्ग का आशीर्वाद दिया। यह कथा सत्य और धर्म के प्रति राजा के अडिग समर्पण को दर्शाती है।
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प्रमुख पात्र
1. राजा हरिश्चंद्र – सत्य और धर्म के प्रतीक।
2. तारामती – उनकी पत्नी, जो हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी रहीं।
3. रोहिताश्व – उनका पुत्र, जिसने बाल्यावस्था में कठिनाइयों का सामना किया।
4. ऋषि विश्वामित्र – जिन्होंने राजा हरिश्चंद्र की परीक्षा ली।
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प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1- राजा हरिश्चंद्र किस बात के लिए प्रसिद्ध थे?
उत्तर- राजा हरिश्चंद्र सत्य और धर्म के प्रति अपने अडिग समर्पण के लिए प्रसिद्ध थे।
प्रश्न 2- ऋषि विश्वामित्र ने राजा हरिश्चंद्र की परीक्षा कैसे ली?
उत्तर- ऋषि विश्वामित्र ने राजा हरिश्चंद्र से उनका राज्य और सारी संपत्ति मांग ली और उन्हें वनवास में कठिन जीवन जीने के लिए मजबूर किया।
प्रश्न 3- राजा हरिश्चंद्र ने अपने पुत्र के अंतिम संस्कार के लिए अपनी पत्नी से क्या माँगा?
उत्तर- राजा हरिश्चंद्र ने अपने पुत्र के अंतिम संस्कार के लिए कर (टैक्स) माँगा, क्योंकि वे अपने धर्म और सत्य से समझौता नहीं कर सकते थे।
प्रश्न 4- राजा हरिश्चंद्र को उनके सत्य पालन के लिए क्या पुरस्कार मिला?
उत्तर- देवताओं ने राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा और धर्मपरायणता से प्रसन्न होकर उनका राज्य और परिवार लौटा दिया और उन्हें स्वर्ग का आशीर्वाद दिया।
प्रश्न 5- इस कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर- इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सत्य और धर्म का पालन करना कठिन हो सकता है, लेकिन अंततः सत्य की ही विजय होती है।
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कथा की विशेषताएँ
1. सत्य का महत्व- राजा हरिश्चंद्र की कहानी सत्यनिष्ठा की पराकाष्ठा को दर्शाती है।
2. धर्म और कर्तव्य- धर्म का पालन चाहे जितना भी कठिन हो, वह हमेशा श्रेष्ठ होता है।
3. मानवीय मूल्यों की शिक्षा- यह कथा सिखाती है कि सत्य और धर्म का मार्ग चुनने से बड़ी से बड़ी कठिनाइयाँ भी हल हो जाती हैं।
राजा हरिश्चंद्र की गाथा भारतीय संस्कृति में नैतिकता और सत्यनिष्ठा का सबसे बड़ा उदाहरण है।
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