भक्तिकाल (1350-1700 ई.)

कबीरदास

📜 कबीरदास – संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: संत कबीरदास
काल: 15वीं शताब्दी (लगभग 1398–1518 ई.)
जन्म स्थान: काशी (वर्तमान वाराणसी)
धर्म: आध्यात्मिक संत (नानक व रैदास जैसे संतों के समकालीन)
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति धारा के प्रवर्तक
जाति: जुलाहा (माना जाता है कि वे मुस्लिम जुलाहा परिवार में जन्मे थे)
गुरु: स्वामी रामानंद (अनुमानित)
भाषा: सधुक्कड़ी / अवधी / ब्रज / पंजाबी मिश्रित

🔸 विशेषता:

  • कबीरदास ने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, पाखंड, और धार्मिक विभाजन का विरोध किया।

  • उन्होंने निर्गुण ब्रह्म की उपासना की और “संतमत” का प्रचार किया।

  • उनकी वाणी में सरलता, प्रखरता, और सत्य का निर्भीक उद्घोष है।

🔶 रचनाएँ:

साखी
सबद
रमैनी
बीजक 
अनुराग सागर 
कबीर ग्रंथावली


 

 

रैदास (रविदास)

📜 संत रैदास (रविदास) – संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: संत रैदास (रविदास / रविदासजी)
काल: लगभग 15वीं शताब्दी (लगभग 1450–1520 ई.)
जन्म स्थान: काशी (वाराणसी)
जाति: चर्मकार (जूता बनाने का कार्य करने वाले)
भाषा: सधुक्कड़ी / अवधी / ब्रज मिश्रित
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति धारा
सम्बंध: संत कबीर, गुरु नानक, मीराबाई से संबंध
विशेष शिष्य: मीराबाई

🔸 विशेषता:

  • संत रैदास ने समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिवाद, और पाखंड का विरोध किया।

  • वे समता, भक्ति, और मानवता के उपदेशक थे।

  • उन्होंने “बेगमपुरा” (वर्गहीन समाज) का सपना प्रस्तुत किया।

🔶 रचनाएँ:

1. पद
2. साखियाँ
3. रविदास की वाणी 
4. बेगमपुरा 
5. गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित 41 पद


 

धन्ना भगत

📜 धन्ना भगत – संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: धन्ना भगत (या भगत धन्ना)
काल: लगभग 15वीं शताब्दी (लगभग 1415–? ई.)
जन्म स्थान: टोंक ज़िला, राजस्थान
जाति: जाट कृषक
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति परंपरा
गुरु: संत नामदेव (कुछ परंपराओं में)
भाषा: सरल लोकभाषा (राजस्थानी, सधुक्कड़ी)
विशेषता:

  • धन्ना भगत सीधे, सरल और निष्कपट भक्ति के समर्थक थे।

  • उन्होंने मूर्ति-पूजा, पाखंड और कर्मकांडों का विरोध किया।

  • उनकी भक्ति सहज, निर्मल और अनुभव-सिद्ध थी।

🔶 रचनाएँ:

1. पद / भजन
2. धन्ना वाणी


 

नामदेव

📜 संत नामदेव – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: भक्त नामदेव (नामदेव महराज)
काल: लगभग 1270–1350 ई.
जन्म स्थान: नरसी-बामनी, महाराष्ट्र
जाति: चिप्पा (धोबी समुदाय)
भाषा: मराठी, पंजाबी, सधुक्कड़ी
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति परंपरा
सम्बंध: वारकरी संप्रदाय (विठोबा भक्ति), नाथपंथ और संत ज्ञानेश्वर से घनिष्ठ संबंध
विशेषता:

  • नामदेव ने भक्ति को भाषा, जाति और कर्मकांडों से ऊपर उठाकर देखा।

  • वे विठोबा (विट्ठल) के महान भक्त थे।

  • उन्होंने भक्ति को जनभाषा में गाया और सामाजिक समरसता का संदेश दिया।

🔶 रचनाएँ:

1. अभंग (मराठी में)
2. पद / भजन (हिंदी में)
3. नामदेव वाणी
4. गुरु ग्रंथ साहिब में संग्रहीत 61 पद
5. नामदेव गाथा 
6. भावार्थ दीपिका


 

 

सैनी संत

📜 संत सैनी – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: संत सैनी (भगत सैनी)
काल: लगभग 14वीं–15वीं शताब्दी
जन्म स्थान: पंजाब या उत्तर भारत (सटीक स्थान विवादित)
जाति: सैनी (माली जाति से संबंधित माने जाते हैं)
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति परंपरा
भाषा: सधुक्कड़ी / पंजाबी / लोकभाषा
विशेषता:

  • संत सैनी ने भक्ति के माध्यम से सामाजिक समता, नैतिकता, और सत्य का प्रचार किया।

  • वे जातिप्रथा व बाह्य आडंबर के विरुद्ध थे।

  • उनकी वाणी में सहज भक्ति और वैराग्य का भाव मिलता है।

🔶 रचनाएँ:

1. पद / भजन (कुल 1 पद)
2. सैनी वाणी


 

 

गुरुनानकदेव

📜 गुरु नानक देव – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: गुरु नानक देव जी
जन्म: 15 अप्रैल 1469 ई.
जन्म स्थान: राय भोई की तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान)
मृत्यु: 22 सितंबर 1539 ई. (कर्तारपुर)
धर्म: सिख धर्म के संस्थापक
भाषा: पंजाबी, सधुक्कड़ी, ब्रज, फारसी मिश्रित
मुख्य संदेश:

  • “एक ओंकार सतनाम” (ईश्वर एक है)

  • उन्होंने भेदभाव, मूर्तिपूजा, जातिवाद, पाखंड और अंधविश्वास का विरोध किया।

  • उन्होंने नाम-स्मरण, कीर्तन, सेवा, और सच्चाई को जीवन का आधार बताया।

  • चार यात्राओं (उदासियाँ) के माध्यम से भारत व विदेशों में संदेश फैलाया।

🔶 रचनाएँ:

1. जापजी साहिब
2. सोदर
3. आरती
4. सिध गोष्ठी
5. बावन अंखरी
6. धकड़ी ओंकार
7. बारह मासी
8. आसा दी वार
9. सच्चखंड
10. अन्य 974 शब्द (शबद), सलोक व पद


 

 

पीपा, सेन, दादूदयाल

🟣 1. संत पीपा – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: राजा पीपा / संत पीपा
काल: लगभग 14वीं शताब्दी
जन्म स्थान: गागरोन (राजस्थान)
जाति: क्षत्रिय (राजा थे)
भाषा: सधुक्कड़ी / राजस्थानी
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति, वैराग्य मार्ग
विशेषता:

  • पहले एक राजा थे, फिर भक्ति मार्ग अपनाया।

  • रामानंदाचार्य के शिष्य बने।

  • बाह्य पूजा और मूर्तिपूजा के विरोधी थे।

🔶 रचनाएँ:

1. पद / भजन 
2. पीपा वाणी


🟣 2. संत सेन – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: संत सेन नाई
काल: लगभग 14वीं–15वीं शताब्दी
जन्म स्थान: वाराणसी
जाति: नाई (केशशिल्पी वर्ग)
भाषा: सधुक्कड़ी / अवधी
सम्प्रदाय: भक्ति मार्ग (रामानंद के शिष्य)
विशेषता:

  • पेशे से नाई होने पर भी समाज में आध्यात्मिक मान्यता प्राप्त की।

  • सेवा और भक्ति को जीवन का मूल माना।

  • जातिवाद और पाखंड का विरोध किया।

🔶 रचनाएँ:

1. पद / भजन 
2. सेन वाणी


🟣 3. संत दादूदयाल – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: संत दादूदयाल
काल: 1544–1603 ई.
जन्म स्थान: अहमदाबाद (गुजरात), निवास – नरैना (राजस्थान)
जाति: धुनिया (कपास धुनने का कार्य)
भाषा: सधुक्कड़ी / राजस्थानी / ब्रज
सम्प्रदाय: दादू पंथ के संस्थापक
विशेषता:

  • निर्गुण ब्रह्म की उपासना

  • “दया”, “सद्भाव”, “जाति विरोध”, और “मानवता” के उपदेशक

  • कबीर की तरह समाज-सुधारक और संत कवि

🔶 रचनाएँ:

1. दादू वाणी
2. अनुभव वाणी
3. अमृतबानी
4. सहजोबाई और रजाबाई (शिष्याओं) की रचनाएँ भी दादू पंथ में जुड़ी हैं


मलूकदास

📜 संत मलूकदास – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: संत मलूकदास
काल: लगभग 1574–1682 ई.
जन्म स्थान: करहर (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश)
जाति: कायस्थ
भाषा: ब्रजभाषा, अवधी, सधुक्कड़ी
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति परंपरा
विशेषता:

  • संत मलूकदास ने निराकार ब्रह्म की उपासना की।

  • उन्होंने सामाजिक एकता, सदाचार, और सत्य जीवन का प्रचार किया।

  • वे पाखंड, ढोंग, जातिवाद और अंधविश्वास के विरुद्ध थे।

  • उनके दोहे और पद अत्यंत नैतिक शिक्षाओं से भरपूर होते हैं।

🔶 रचनाएँ:

1. मलूक ग्रंथावली
2. मलूक पंथी वाणी
3. मलूक बानी
4. सतसई (मलूकदास की दोहों की संकलन)
5. मलूक सागर


 

 

तुलसीदास

📜 गोस्वामी तुलसीदास – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: गोस्वामी तुलसीदास
काल: 1532–1623 ई.
जन्म स्थान: राजापुर (बांदा, उत्तर प्रदेश)
भाषा: अवधी, ब्रजभाषा, संस्कृत
सम्प्रदाय: रामभक्ति शाखा – निर्गुण-सगुण समन्वय
गुरु: नरहरिदास
विशेषता:

  • तुलसीदास को रामकाव्य के शिरोमणि कहा जाता है।

  • उन्होंने भगवान राम के जीवन और चरित्र को जनभाषा में प्रस्तुत किया।

  • उन्होंने भक्ति, नीति, आदर्श और धर्म का व्यापक प्रचार किया।

  • उन्हें वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।

🔶 रचनाएँ:

  1. रामचरितमानस

  2. दोहावली

  3. विनय पत्रिका

  4. कवितावली

  5. गीतावली

  6. जानकीमंगल

  7. रामलला नहछू

  8. वैराग्य संदीपनी

  9. हनुमान चालीसा

  10. हनुमान बाहुक

  11. वर्षामंगल


 

नाभादास

📜 संत नाभादास – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: संत नाभादास
काल: लगभग 16वीं शताब्दी (1555–1650 ई.)
जन्म स्थान: नरार (राजस्थान या उत्तर प्रदेश में कहीं माना जाता है)
सम्बंध: रामानंदी संप्रदाय के प्रमुख संत
भाषा: ब्रज, अवधी, सधुक्कड़ी
गुरु: श्री अग्रदास
विशेषता:

  • नाभादास भक्ति आंदोलन के इतिहासकार माने जाते हैं।

  • उन्होंने संतों के जीवन और योगदान को लिपिबद्ध कर भक्ति साहित्य को संरक्षित किया।

  • उनके ग्रंथों में संत परंपरा की जीवनी-संपदा मिलती है।

  • वे स्वयं भी महान संत और कवि थे।

🔶 रचनाएँ:

  • भक्तमाल

  • भक्तिरसबोधिनी टीका

  • भक्तिरससार

  • रससिद्धि ग्रंथ

  • प्रेमसागर (अनुमानित, कम प्रसिद्ध)


रामदास, जगनिक

🟣 1. संत रामदास – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: समर्थ रामदास स्वामी
काल: 1608–1681 ई.
जन्म स्थान: जांब (जिला – औरंगाबाद, महाराष्ट्र)
भाषा: मराठी, संस्कृत
धार्मिक परंपरा: रामभक्ति / हनुमान उपासक
विशेषता:

  • रामदास स्वामी छत्रपति शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं।

  • इन्होंने चरित्र निर्माण, भक्ति और राष्ट्रनिर्माण का संगम प्रस्तुत किया।

  • वे राम और हनुमान को शक्ति और प्रेरणा का स्रोत मानते थे।

  • समाज-सुधार, नैतिकता और संयम पर बल दिया।

🔶 रचनाएँ:

  1. दासबोध

  2. मनाचे श्लोक

  3. आत्माराम

  4. करुणाष्टक

  5. श्रीमारुति स्तोत्र

  6. अग्रलिखित अभंग व पद


🟣 2. जगनिक – संक्षिप्त जीवन परिचय (अनुमानित)

काल: 12वीं–13वीं शताब्दी (अनिश्चित)
स्थान: बुंदेलखंड क्षेत्र (वर्तमान उत्तर प्रदेश/मध्य प्रदेश)
भाषा: अवधी/बुंदेली मिश्रित लोकभाषा
विशेषता:

  • जगनिक एक लोककवि माने जाते हैं।

  • इन्होंने वीर रस और प्रेम भावना से भरपूर ग्रंथ की रचना की।

  • इनकी रचनाएँ ऐतिहासिक-गाथात्मक शैली में हैं।

  • इनका नाम अल्हाखंड की रचना से जुड़ा है, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण स्पष्ट नहीं हैं।

🔶 रचनाएँ:

  1. अल्हाखंड


कृष्णदास कविराज

📜 कृष्णदास कविराज – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: कृष्णदास कविराज गोस्वामी
काल: लगभग 16वीं शताब्दी (1507–1592 ई. अनुमानित)
जन्म स्थान: बर्दवान (पश्चिम बंगाल)
भाषा: संस्कृत, बांग्ला, ब्रजभाषा
सम्प्रदाय: गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय
गुरु: श्रील नित्यानंद प्रभु
विशेषता:

  • कृष्णदास कविराज, चैतन्य महाप्रभु के महान भक्त और जीवनचरित्र लेखक थे।

  • उन्होंने चैतन्य लीला, भक्ति योग और कृष्ण भक्ति को ग्रंथबद्ध किया।

  • वे अत्यंत विद्वान, विरक्त और भक्तिपरायण संत थे।

  • उन्होंने वृद्धावस्था में, वृंदावन में रहकर महान ग्रंथों की रचना की।

🔶 रचनाएँ:

  • चैतन्य चरितामृत

  • गोविंद लीलामृत

  • सरंगधारा टीका

  • महाभाव प्रकाश


सूरदास

📜 सूरदास – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: सूरदास
काल: लगभग 1478 – 1583 ई.
जन्म स्थान: अनुमानतः रेनुकूट (उत्तर प्रदेश) या दिल्ली के निकट सीही गाँव
भाषा: ब्रजभाषा
सम्प्रदाय: पुष्टिमार्ग (वल्लभाचार्य के अनुयायी)
गुरु: वल्लभाचार्य
विशेषता:

  • सूरदास हिंदी साहित्य के आदर्श कृष्णभक्त कवि माने जाते हैं।

  • वे अष्टछाप के प्रमुख कवियों में से एक थे।

  • उन्होंने बालकृष्ण, राधाकृष्ण, और ब्रजलीला का अनुपम चित्रण किया।

  • उनकी काव्यभाषा को ब्रजभाषा का शिखर माना जाता है।

  • सूरदास जन्म से अंधे थे (ऐसा जनश्रुति में कहा जाता है), लेकिन उनकी काव्य-दृष्टि अत्यंत सूक्ष्म और भावपूर्ण थी।

🔶 रचनाएँ:

  • सूरसागर

  • सूरसारावली

  • साहित्य लहरी


मीरा बाई

📜 मीरा बाई – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: मीराबाई
काल: लगभग 1498 – 1547 ई.
जन्म स्थान: कुड़की गाँव, पाली ज़िला (राजस्थान)
भाषा: राजस्थानी, ब्रजभाषा, अवधी, गुजराती
सम्बंध: कृष्णभक्ति शाखा, निर्गुण-सगुण समन्वय
पति: राणा भोजराज (मेवाड़ के राजकुमार)
विशेषता:

  • मीरा बाई एक महान भक्त कवयित्री थीं, जिन्होंने अपना जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति को समर्पित कर दिया।

  • उन्होंने समाज, परिवार, परंपरा और बंधनों को त्यागकर भक्ति का मार्ग अपनाया।

  • उनकी रचनाओं में विरह, प्रेम, समर्पण और आत्म-निवेदन की भावनाएँ गहराई से मिलती हैं।

  • वे स्त्री चेतना और संत परंपरा की एक विलक्षण उदाहरण हैं।

  • उन्हें भक्ति आंदोलन की एक क्रांतिकारी स्त्री संत माना जाता है।

🔶 रचनाएँ:

  • मीरा के पद

  • मीरा की गुञ्जार

  • नरसिंह का मायना (अनुमानित संलग्नता)

  • मीरा सतसई (अनौपचारिक संकलन)


नरसी मेहता

📜 नरसी मेहता – संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम: नरसिंह मेहता (लोकप्रिय नाम – नरसी मेहता)
काल: लगभग 1414 – 1481 ई.
जन्म स्थान: जूनागढ़, गुजरात
भाषा: गुजराती
सम्प्रदाय: वैष्णव भक्ति परंपरा (कृष्णभक्त)
विशेषता:

  • नरसी मेहता गुजराती भक्ति काव्य के आदिकवि माने जाते हैं।

  • उन्होंने श्रीकृष्ण की लीला, व्रज प्रेम, और निरगुण-सगुण भक्ति का सुंदर वर्णन किया।

  • वे समाज में भक्ति, समानता, और मानवता के पक्षधर थे।

  • महात्मा गांधी उनके गीत “वैष्णव जन तो तेने कहिए” को अत्यधिक मानते थे।

  • उन्होंने सामाजिक भेदभाव और छुआछूत का विरोध किया।

🔶 रचनाएँ:

  • वैष्णव जन तो तेने कहिए

  • गोविंद गमन

  • सुधा सागर

  • हरि लीला

  • नरसी का भावात्मक काव्य संकलन


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