कबीरदास
📜 कबीरदास – संक्षिप्त जीवन परिचय
रैदास (रविदास)
📜 संत रैदास (रविदास) – संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम: संत रैदास (रविदास / रविदासजी)
काल: लगभग 15वीं शताब्दी (लगभग 1450–1520 ई.)
जन्म स्थान: काशी (वाराणसी)
जाति: चर्मकार (जूता बनाने का कार्य करने वाले)
भाषा: सधुक्कड़ी / अवधी / ब्रज मिश्रित
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति धारा
सम्बंध: संत कबीर, गुरु नानक, मीराबाई से संबंध
विशेष शिष्य: मीराबाई
🔸 विशेषता:
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संत रैदास ने समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिवाद, और पाखंड का विरोध किया।
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वे समता, भक्ति, और मानवता के उपदेशक थे।
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उन्होंने “बेगमपुरा” (वर्गहीन समाज) का सपना प्रस्तुत किया।
🔶 रचनाएँ:
1. पद
2. साखियाँ
3. रविदास की वाणी
4. बेगमपुरा
5. गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित 41 पद
धन्ना भगत
📜 धन्ना भगत – संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम: धन्ना भगत (या भगत धन्ना)
काल: लगभग 15वीं शताब्दी (लगभग 1415–? ई.)
जन्म स्थान: टोंक ज़िला, राजस्थान
जाति: जाट कृषक
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति परंपरा
गुरु: संत नामदेव (कुछ परंपराओं में)
भाषा: सरल लोकभाषा (राजस्थानी, सधुक्कड़ी)
विशेषता:
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धन्ना भगत सीधे, सरल और निष्कपट भक्ति के समर्थक थे।
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उन्होंने मूर्ति-पूजा, पाखंड और कर्मकांडों का विरोध किया।
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उनकी भक्ति सहज, निर्मल और अनुभव-सिद्ध थी।
🔶 रचनाएँ:
1. पद / भजन
2. धन्ना वाणी
नामदेव
📜 संत नामदेव – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: भक्त नामदेव (नामदेव महराज)
काल: लगभग 1270–1350 ई.
जन्म स्थान: नरसी-बामनी, महाराष्ट्र
जाति: चिप्पा (धोबी समुदाय)
भाषा: मराठी, पंजाबी, सधुक्कड़ी
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति परंपरा
सम्बंध: वारकरी संप्रदाय (विठोबा भक्ति), नाथपंथ और संत ज्ञानेश्वर से घनिष्ठ संबंध
विशेषता:
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नामदेव ने भक्ति को भाषा, जाति और कर्मकांडों से ऊपर उठाकर देखा।
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वे विठोबा (विट्ठल) के महान भक्त थे।
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उन्होंने भक्ति को जनभाषा में गाया और सामाजिक समरसता का संदेश दिया।
🔶 रचनाएँ:
1. अभंग (मराठी में)
2. पद / भजन (हिंदी में)
3. नामदेव वाणी
4. गुरु ग्रंथ साहिब में संग्रहीत 61 पद
5. नामदेव गाथा
6. भावार्थ दीपिका
सैनी संत
📜 संत सैनी – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: संत सैनी (भगत सैनी)
काल: लगभग 14वीं–15वीं शताब्दी
जन्म स्थान: पंजाब या उत्तर भारत (सटीक स्थान विवादित)
जाति: सैनी (माली जाति से संबंधित माने जाते हैं)
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति परंपरा
भाषा: सधुक्कड़ी / पंजाबी / लोकभाषा
विशेषता:
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संत सैनी ने भक्ति के माध्यम से सामाजिक समता, नैतिकता, और सत्य का प्रचार किया।
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वे जातिप्रथा व बाह्य आडंबर के विरुद्ध थे।
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उनकी वाणी में सहज भक्ति और वैराग्य का भाव मिलता है।
🔶 रचनाएँ:
1. पद / भजन (कुल 1 पद)
2. सैनी वाणी
गुरुनानकदेव
📜 गुरु नानक देव – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: गुरु नानक देव जी
जन्म: 15 अप्रैल 1469 ई.
जन्म स्थान: राय भोई की तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान)
मृत्यु: 22 सितंबर 1539 ई. (कर्तारपुर)
धर्म: सिख धर्म के संस्थापक
भाषा: पंजाबी, सधुक्कड़ी, ब्रज, फारसी मिश्रित
मुख्य संदेश:
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“एक ओंकार सतनाम” (ईश्वर एक है)
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उन्होंने भेदभाव, मूर्तिपूजा, जातिवाद, पाखंड और अंधविश्वास का विरोध किया।
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उन्होंने नाम-स्मरण, कीर्तन, सेवा, और सच्चाई को जीवन का आधार बताया।
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चार यात्राओं (उदासियाँ) के माध्यम से भारत व विदेशों में संदेश फैलाया।
🔶 रचनाएँ:
1. जापजी साहिब
2. सोदर
3. आरती
4. सिध गोष्ठी
5. बावन अंखरी
6. धकड़ी ओंकार
7. बारह मासी
8. आसा दी वार
9. सच्चखंड
10. अन्य 974 शब्द (शबद), सलोक व पद
पीपा, सेन, दादूदयाल
🟣 1. संत पीपा – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: राजा पीपा / संत पीपा
काल: लगभग 14वीं शताब्दी
जन्म स्थान: गागरोन (राजस्थान)
जाति: क्षत्रिय (राजा थे)
भाषा: सधुक्कड़ी / राजस्थानी
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति, वैराग्य मार्ग
विशेषता:
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पहले एक राजा थे, फिर भक्ति मार्ग अपनाया।
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रामानंदाचार्य के शिष्य बने।
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बाह्य पूजा और मूर्तिपूजा के विरोधी थे।
🔶 रचनाएँ:
1. पद / भजन
2. पीपा वाणी
🟣 2. संत सेन – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: संत सेन नाई
काल: लगभग 14वीं–15वीं शताब्दी
जन्म स्थान: वाराणसी
जाति: नाई (केशशिल्पी वर्ग)
भाषा: सधुक्कड़ी / अवधी
सम्प्रदाय: भक्ति मार्ग (रामानंद के शिष्य)
विशेषता:
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पेशे से नाई होने पर भी समाज में आध्यात्मिक मान्यता प्राप्त की।
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सेवा और भक्ति को जीवन का मूल माना।
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जातिवाद और पाखंड का विरोध किया।
🔶 रचनाएँ:
1. पद / भजन
2. सेन वाणी
🟣 3. संत दादूदयाल – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: संत दादूदयाल
काल: 1544–1603 ई.
जन्म स्थान: अहमदाबाद (गुजरात), निवास – नरैना (राजस्थान)
जाति: धुनिया (कपास धुनने का कार्य)
भाषा: सधुक्कड़ी / राजस्थानी / ब्रज
सम्प्रदाय: दादू पंथ के संस्थापक
विशेषता:
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निर्गुण ब्रह्म की उपासना
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“दया”, “सद्भाव”, “जाति विरोध”, और “मानवता” के उपदेशक
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कबीर की तरह समाज-सुधारक और संत कवि
🔶 रचनाएँ:
1. दादू वाणी
2. अनुभव वाणी
3. अमृतबानी
4. सहजोबाई और रजाबाई (शिष्याओं) की रचनाएँ भी दादू पंथ में जुड़ी हैं
मलूकदास
📜 संत मलूकदास – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: संत मलूकदास
काल: लगभग 1574–1682 ई.
जन्म स्थान: करहर (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश)
जाति: कायस्थ
भाषा: ब्रजभाषा, अवधी, सधुक्कड़ी
सम्प्रदाय: निर्गुण भक्ति परंपरा
विशेषता:
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संत मलूकदास ने निराकार ब्रह्म की उपासना की।
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उन्होंने सामाजिक एकता, सदाचार, और सत्य जीवन का प्रचार किया।
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वे पाखंड, ढोंग, जातिवाद और अंधविश्वास के विरुद्ध थे।
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उनके दोहे और पद अत्यंत नैतिक शिक्षाओं से भरपूर होते हैं।
🔶 रचनाएँ:
1. मलूक ग्रंथावली
2. मलूक पंथी वाणी
3. मलूक बानी
4. सतसई (मलूकदास की दोहों की संकलन)
5. मलूक सागर
तुलसीदास
नाभादास
📜 संत नाभादास – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: संत नाभादास
काल: लगभग 16वीं शताब्दी (1555–1650 ई.)
जन्म स्थान: नरार (राजस्थान या उत्तर प्रदेश में कहीं माना जाता है)
सम्बंध: रामानंदी संप्रदाय के प्रमुख संत
भाषा: ब्रज, अवधी, सधुक्कड़ी
गुरु: श्री अग्रदास
विशेषता:
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नाभादास भक्ति आंदोलन के इतिहासकार माने जाते हैं।
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उन्होंने संतों के जीवन और योगदान को लिपिबद्ध कर भक्ति साहित्य को संरक्षित किया।
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उनके ग्रंथों में संत परंपरा की जीवनी-संपदा मिलती है।
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वे स्वयं भी महान संत और कवि थे।
🔶 रचनाएँ:
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भक्तमाल
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भक्तिरसबोधिनी टीका
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भक्तिरससार
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रससिद्धि ग्रंथ
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प्रेमसागर (अनुमानित, कम प्रसिद्ध)
रामदास, जगनिक
🟣 1. संत रामदास – संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम: समर्थ रामदास स्वामी
काल: 1608–1681 ई.
जन्म स्थान: जांब (जिला – औरंगाबाद, महाराष्ट्र)
भाषा: मराठी, संस्कृत
धार्मिक परंपरा: रामभक्ति / हनुमान उपासक
विशेषता:
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रामदास स्वामी छत्रपति शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं।
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इन्होंने चरित्र निर्माण, भक्ति और राष्ट्रनिर्माण का संगम प्रस्तुत किया।
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वे राम और हनुमान को शक्ति और प्रेरणा का स्रोत मानते थे।
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समाज-सुधार, नैतिकता और संयम पर बल दिया।
🔶 रचनाएँ:
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दासबोध
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मनाचे श्लोक
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आत्माराम
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करुणाष्टक
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श्रीमारुति स्तोत्र
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अग्रलिखित अभंग व पद
🟣 2. जगनिक – संक्षिप्त जीवन परिचय (अनुमानित)
काल: 12वीं–13वीं शताब्दी (अनिश्चित)
स्थान: बुंदेलखंड क्षेत्र (वर्तमान उत्तर प्रदेश/मध्य प्रदेश)
भाषा: अवधी/बुंदेली मिश्रित लोकभाषा
विशेषता:
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जगनिक एक लोककवि माने जाते हैं।
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इन्होंने वीर रस और प्रेम भावना से भरपूर ग्रंथ की रचना की।
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इनकी रचनाएँ ऐतिहासिक-गाथात्मक शैली में हैं।
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इनका नाम अल्हाखंड की रचना से जुड़ा है, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण स्पष्ट नहीं हैं।
🔶 रचनाएँ:
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अल्हाखंड