आदिकाल (वीरगाथा काल) – 1050 से 1350 ई.

चंदबरदाई

📜 चंदबरदाई – संक्षिप्त जीवन परिचय

 

नाम: चंदबरदाई (या चंद बारदाई)
काल: 12वीं शताब्दी (लगभग 1148 – 1191 ई.)
स्थान: दिल्ली या अजमेर (राजस्थान)
जाति: चारण
भाषा: अपभ्रंश और प्रारंभिक हिंदी (ब्रज मिश्रित)
मुख्य संरक्षक: पृथ्वीराज चौहान (राजा अजमेर/दिल्ली)

🔸 विशेषता:

चंदबरदाई को हिंदी का प्रथम कवि (प्रारंभिक वीरगाथा काल का) माना जाता है।
वे पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि, मित्र और राजकवि थे। उन्होंने वीर रस की परंपरा को जन्म दिया और वीरगाथा साहित्य की नींव रखी।

 🔶 रचनाएँ:

पृथ्वीराज रासो


 

जयनायक

📜 जयनायक – संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: जयनायक
काल: लगभग 12वीं शताब्दी (वीरगाथा काल)
भाषा: प्रारंभिक हिंदी (अपभ्रंश / लोकभाषा मिश्रित)
वर्ग: चारण या राजदरबारी कवि
संरक्षक: कलचुरी राजा पृथ्विदेव द्वितीय (छत्तीसगढ़/मध्य भारत)

🔸 विशेषता:

  • जयनायक वीरगाथा काल के एक प्रमुख कवि थे।

  • इन्होंने अपने राजा पृथ्विदेव द्वितीय की वीरता और युद्धों का वर्णन किया।

  • इनकी रचनाएँ वीर रस, भक्तिभाव, और राजभक्ति से युक्त हैं।

  • जयनायक की रचनाओं में इतिहास और कल्पना का सुंदर समन्वय मिलता है।

 🔶 रचनाएँ:

पृथ्वीदेव रासो
हम्मीर रासो


 

नरपति नाल्ह

📜 नरपति नाल्ह – संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: नरपति नाल्ह (या नरपति नाल)
काल: लगभग 12वीं शताब्दी (वीरगाथा काल)
भाषा: अपभ्रंश / प्राचीन हिंदी
वर्ग: चारण / राजदरबारी कवि
संरक्षक: जैतसी (जालौर नरेश)

🔸 विशेषता:

  • नरपति नाल्ह वीरगाथा काल के प्रमुख ऐतिहासिक कवि थे।

  • उन्होंने अपने समय के राजनीतिक युद्धों, विशेषकर जालौर और दिल्ली के संघर्ष, का सजीव चित्रण किया।

  • उनकी रचनाएँ इतिहास और साहित्य का अद्भुत समन्वय मानी जाती है

🔶 रचनाएँ:

बीसलदेव रासो


 

श्रीधर

📜 श्रीधर – संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: श्रीधर कवि
काल: लगभग 15वीं शताब्दी (भक्ति काल)
भाषा: ब्रजभाषा
वर्ग: भक्तिकालीन रामभक्त कवि
सम्बंध: रामानंद संप्रदाय या तुलसीदास के समकालीन माने जाते हैं (कुछ विद्वान इन्हें बाद का कवि मानते हैं)

🔸 विशेषता:

  • श्रीधर ने धार्मिक आख्यानों को पद्यबद्ध करके जनसाधारण के लिए सरल भाषा में प्रस्तुत किया।

  • उनकी शैली सरल, भावात्मक और कथा प्रधान होती है।

  • उनकी रचनाएँ काव्यात्मक धार्मिक ग्रंथ हैं।

🔶 रचनाएँ:

 रामायण
 भगवत
 हरिवंश
 प्रेम तारणि
 दुर्गा सप्तशती
 चंडी महात्म्य


 

पद्मनाभ

📜 पद्मनाभ – संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: पद्मनाभ
काल: लगभग 15वीं शताब्दी (लगभग 1450 ई.)
भाषा: प्राचीन हिंदी / डिंगल / राजस्थानी
वर्ग: चारण कवि
स्थान: राजस्थान (मारवाड़ क्षेत्र)
संरक्षक: राव चूड़ा / राव रणमल (मारवाड़ नरेश)

🔸 विशेषता:

  • पद्मनाभ वीरगाथा परंपरा से जुड़े एक प्रमुख चारण कवि थे।

  • इन्होंने राजस्थान के शौर्य, संस्कृति, और ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन काव्य रूप में किया।

  • इनकी रचनाओं में वीर रस की प्रमुखता है।

🔶 रचनाएँ:

1. कंहड़दे प्रबंध
2. राव मालदेव रासो


 

जगनिक (अनुमानित)

📜 जगनिक (अनुमानित) – संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: जगनिक (कुछ स्थानों पर ‘जगनिक कवि’ या ‘कवि जगनिक’)
काल: अनुमानतः 12वीं–13वीं शताब्दी
भाषा: अवधी / प्राचीन हिंदी
वर्ग: लोककवि / वीरगाथा परंपरा से जुड़े रचनाकार
स्थान: कन्नौज (उत्तर प्रदेश)
संरक्षक: आल्हा-ऊदल (महोबा के चंदेल वीरों) के कथानक से संबंधित

🔸 विशेषता:

  • जगनिक को आल्हा खंड (या आल्हा गीतों) का रचयिता माना जाता है, यद्यपि इसके ऐतिहासिक प्रमाण स्पष्ट नहीं हैं।

  • माना जाता है कि उन्होंने वीरगाथा परंपरा के अंतर्गत बुंदेलखंड के वीरों की गाथाएँ लिखीं।

  • वे एक लोककवि थे, जिनकी रचनाएँ मौखिक परंपरा से लोकप्रिय हुईं।

🔶 रचनाएँ:

आल्हा खंड


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