अमृतसर आ गया है पाठ के लेखक ने मानवता के किस रूप को प्रस्तुत किया है
“अमृतसर आ गया है” पाठ के लेखक भीष्म साहनी ने मानवता के एक मार्मिक और यथार्थ रूप को प्रस्तुत किया है। यह कहानी भारत के विभाजन के समय की त्रासदी को उजागर करती है, जब मानवता धार्मिक और सांप्रदायिक हिंसा के कारण संकट में थी। कहानी एक साधारण ट्रेन यात्रा के दौरान मानवीय संबंधों, करुणा, और संवेदनाओं को बड़ी गहराई से प्रस्तुत करती है।
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मानवता के विभिन्न रूपों का वर्णन – अमृतसर आ गया है पाठ के लेखक ने मानवता के किस रूप को प्रस्तुत किया है
1. सहजता और अपनापन-
ट्रेन में सवार साधारण यात्री, जो विभाजन की भयावह परिस्थितियों में भी अपने जीवन की सामान्यता को बनाए रखने का प्रयास कर रहे थे, मानवीय सहिष्णुता का प्रतीक हैं। वे अपनी बातचीत, हंसी-मजाक, और भोजन साझा करने से यह दर्शाते हैं कि सामान्य जनमानस में मानवीय भावनाएँ जीवित रहती हैं, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
2. विभाजन की पीड़ा-
लेखक ने दिखाया है कि कैसे विभाजन ने लोगों के बीच नफरत की दीवारें खड़ी कर दीं। इसके बावजूद, कहानी के अंत में यह स्पष्ट होता है कि लोग भीतर से हिंसा और नफरत से थके हुए हैं।
3. मानवीय संवेदनाएँ-
कहानी में एक बूढ़े आदमी का चित्रण है, जो अमृतसर स्टेशन पर उतरने के लिए बेचैन रहता है। उसकी आँखों में अपने प्रियजनों से मिलने की उम्मीद है। यह प्रतीकात्मक है कि कठिनाइयों के बावजूद, मनुष्य में प्रेम और आशा की भावना बनी रहती है।
4. भय और असुरक्षा-
ट्रेन यात्रा के दौरान यात्रियों के मन में लगातार भय बना रहता है। विभाजन के समय की सांप्रदायिक हिंसा और असुरक्षा ने मानवता को कमजोर कर दिया था। यह उस समय की स्थिति को दर्शाता है, जब इंसान अपने ही परिवेश से डरने लगा था।
5. सांप्रदायिकता के खिलाफ एक संदेश-
लेखक ने यह दिखाया है कि सांप्रदायिकता के नाम पर हुई हिंसा ने किस प्रकार मानवता को चोट पहुंचाई है। लेकिन, इसी कहानी के माध्यम से यह भी संदेश मिलता है कि मनुष्य को नफरत छोड़कर प्रेम और सहिष्णुता को अपनाना चाहिए।
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निष्कर्ष-
भीष्म साहनी ने “अमृतसर आ गया है” पाठ के माध्यम से विभाजन की त्रासदी और उसके कारण उत्पन्न मानवीय संवेदनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। यह कहानी केवल विभाजन की घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सार्वभौमिक स्तर पर मानवता, सह-अस्तित्व, और प्रेम का संदेश देती है। लेखक ने यह दिखाया है कि भले ही समय कितना भी कठिन हो, मानवीय करुणा और संवेदनाएँ जीवित रहती हैं।
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